शुक्रवार, 20 जुलाई 2018

" चामुण्डा देवी मंदिर “(काँगड़ा )


आश्रम जाकर खाना खाकर हम लोग सो गए शाम को पाँच बजे पवन की गाड़ी से मैं,कान्ता जी,भारती और एक कान्ता जी की फ्रैंड चामुण्डा देवी के दर्शन को निकल लिए और पन्द्रह मिनट में ही पहुँच गए .
हिमाचल-प्रदेश को देव-भूमि भी कहा जाता है.पूरे हिमाचल में २००० से भी ज़्यादा मंदिर हैं इनमें से एक चामुण्डा मंदिर भी प्रमुख  है .यह भी प्रमुख शक्तिपीठ मंदिरों में से एक है.यह मंदिर ७०० साल पुराना है कहते हैं यहाँ सती माँ  के चरण गिरे थे.मान्यता है कि यहाँ दर्शन करने एवं मन्नत मानने से मनोकामना पूर्ण होती है.देश भर से असंख्य श्रद्धालु प्रतिवर्ष दर्शन को आते हैं.यह मंदिर धर्मशाला से पन्द्रह कि०मी० दूरी पर बंकर नदी के किनारे स्थित है पर जब हम लोग गए तब नदी लगभग सूखी हुई थी यहाँ की प्रकृतिक सुषमा मनमोहक  है.
यह मंदिर माता काली को समर्पित है चण्ड-मुण्ड के संहार के कारण ही माता का नाम 'चामुण्डा' पड़ा.जब-जब भी दानवों के कारण कोई संकट  धरती पर आया तब-तब मॉं ने दानवों का संहार किया.मंदिर के बीच वाले भाग में प्राय: लोग ध्यान लगाते हैं .कुछ लोग ब्रह्म गंगा तथा मंदिर के पास स्थित कुंड में स्नान कर दर्शन करते हैं.प्रमुख प्रतिमा को शुचिता के कारण ढंक कर रखते हैं. मंदिर के पीछे एक पवित्र गुफा है जिसमें शिवलिंग स्थापित हैं.मंदिर के मुख्य द्वार के पास हनुमान जी तथा भैरों नाथ की प्रतिमा है. हनुमान जी को माता का रक्षक माना जाता है.
मंदिर जाकर हमने प्रसाद लिया और लाइन में लग गए काफी भीड़ थी सामानान्तर  दो लाइन चल रही थीं.
दर्शन करके हम बाँए साइड से बाहर निकले वहां बड़ी सी हनुमान जी की मूर्ती   थी वहां हमने फोटो खिंचवाईं नीचे ब्रह्म गंगा बह रही थीं पर बिल्कुल सूखी हुई सी. मैंने और भारती ने वहां से आम पापड़ खरीदे।
गाड़ी में गाना बज रहा था...
रत्नों सी सुण रत्नों
तेरियां गला दाँ मारया
के पौणाहारी
जोगी हो गया
जोगी हो गया,वैरागी हो गया...
मुझे पवन ने बताया ये बाबा बालकनाथ का भजन है.
हम रास्ते से कुछ डाइट नमकीन ख़रीदते हुए वापिस आश्रम की तरफ़ प्रस्थान कर गए.
                                                                         
#कांगड़ाहिमाचलप्रदेशयात्रा-5                                                          क्रमशः
          

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