सुनो तुम-
एक ही तो ज़िंदगी है
बार- बार
और कितनी बार
उलट-पलट कर
पढ़ती रहोगी उसे
तुम सोचती हो कि
बोल- बोल कर
अपनी नाव से
शब्दों को उलीच
बाहर फेंक दोगी
खाली कर दोगी मन
पर शब्दों का क्या है
हहरा कर
आ जाते हैं वापिस
दुगने वेग से….
देखो जरा
डगमगाने लगी है नौका
जिद छोड़ दो
यदि चाहती हो
इनसे मुक्ति तो
कहा मानो
चुप होकर बैठो और
गहरे मौन में उतर जाओ अब…!
—
उषाकिरण
सुन्दर
जवाब देंहटाएंलाजवाब
जवाब देंहटाएंवाह! सुन्दर भावपूर्ण सृजन।
जवाब देंहटाएंपर शब्दों का क्या है
जवाब देंहटाएंहहरा कर आ जाते हैं वापिस
दुगने वेग से....
सच कहा कई बेहतर है मौन
कम से कम अपने ही शब्द अर्थ से अनर्थ बन कर तो नहीं आयेंगे अपने पास...
दूसरो के शब्द भी सम्भालते नहीं सम्भलते
मौन हर हाल में बेहतर है
लाजवाब सृजन
वाह!!!
मौन सभी शब्दों का समाधान है पर मुश्किल है ☺️
जवाब देंहटाएंसादर नमन उषा जी 🙏