यदि तुमको मुझे कुछ कहना है
तो कह लो अभी
जो भी नफरत, प्यार या लड़ाई
लानत- मलामत चाहते हो
तो कह डालो, कर डालो
सब कुछ
जो भी शिकायतें हैं
दिल में मत रखो
सुना दो मुझे जो चाहो
कुछ चाहिए मुझसे तो
वह भी तुम अब कह ही दो…
क्योंकि
कल का क्या भरोसा
रहूँ ना रहूँ
ये नाव किस पल घाट छोड़ दे
कौन जाने….
अलविदा कहने के बाद
और किसी की तो पता नहीं
परन्तु
मैं तो वापिस नहीं ही आने वाली
बता रही हूँ अभी
फिर न कहना बताया नहीँ …!!
—उषा किरण 🍃
चित्र: गूगल से साभार
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जवाब देंहटाएंक्षमा करिए सुशील जी , मैं कुछ करेक्शन कर रही थी, शायद ग़लती से आपका कमेन्ट डिलीट हो गया, मैं पढ़ भी नहीं सकी। आपसे अनुरोध है कृपया दुबारा लिख दीजिए 🙏
जवाब देंहटाएंसुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंआपका हृदय से आभार 🙏
हटाएंहूँ... सही है... जो भी है बस यही इक पल है।
जवाब देंहटाएंसादर।
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जी नमस्ते,
आपकी लिखी रचना मंगलवार २९ जुलाई २०२५ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
सादर
धन्यवाद।
आपका बहुत धन्यवाद
हटाएंबहुत सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंहृदय से आभार
हटाएंलौट कर आना मुश्किल है सच को जानते है , पर मानते कहाँ है ।
जवाब देंहटाएंबहुत धन्यवाद
हटाएंजो सब सुनने की ताब रखते हैं,
जवाब देंहटाएंवही सब देने का भाव रखते हैं,
चले जाते हैं जब सब कुछ छोड़कर,
बहुत दिनों तक सब याद रखते हैं
आहा…किस्सा खूबसूरत कविता…हृदय से आभार 🙏
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