ताना बाना

TANA BANA

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शुक्रवार, 29 मई 2020

स्मृति- -चित्रण ( आँचल की खुशबू)

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आँचल की खुशबू — ~~~~~~~~~~~~ "उषा इधर आओ” “हाँ....क्या ?” "चलो तुम ये भिंडी काटो” "हैं भिंडी ...पर क्यों.....मैं क्यों ?...
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सोमवार, 25 मई 2020

कविता— आचार- संहिता

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सुनो ! कब , क्या कहा माँ ने भूल जाओ अब वो सारी नसीहतें वो हिदायतें लिखो न अब खुद की आचार संहिता अपनी कलम से अपनी स्याही से ...
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रविवार, 24 मई 2020

स्मृति चित्रण (नर में नारायण)

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"मैं सोया और स्वप्न देखा कि जीवन आनन्द है मैं जागा और देखा कि जीवन सेवा है मैंने सेवा की और पाया कि सेवा आनंद है”        ...
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गुरुवार, 14 मई 2020

कविता (द्रौपदी)

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        ~द्रौपदी-          ~~~~~ सुनो धर्मराज युधिष्ठिर ! कहो तो क्या सोच कर तुमने द्रौपदी को जुए की बिसात पर चौसर की कौड़ियों...
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सोमवार, 11 मई 2020

कविता— माँ

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सारे दिन खटपट करतीं      लस्त- पस्त हो    जब झुँझला जातीं              तब...   तुम कहतीं-एक दिन    ऐसे ही मर जाउँगी        कभी...
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सोमवार, 4 मई 2020

पुस्तक समीक्षा- ताना बाना

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मन की उधेड़बुन का खूबसूरत ‘ताना-बाना’ -   ~लेखिका— गिरिजा कुलश्रेष्ठ~ जब कोई आँचल मैं चाँद सितारे भरकर अँधेरे को नकारने लगे , तूफानों को ल...
मंगलवार, 21 अप्रैल 2020

कविता— कितने मुजरिम ढूँढोगे...?

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उषा किरण
तूलिका और लेखनी के सहारे अहसासों को पिरोती रचनाओं की राह की एक राहगीर.
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