ताना बाना
TANA BANA
(यहां ले जाएं ...)
Home
▼
शुक्रवार, 29 मई 2020
स्मृति- -चित्रण ( आँचल की खुशबू)
›
आँचल की खुशबू — ~~~~~~~~~~~~ "उषा इधर आओ” “हाँ....क्या ?” "चलो तुम ये भिंडी काटो” "हैं भिंडी ...पर क्यों.....मैं क्यों ?...
9 टिप्पणियां:
सोमवार, 25 मई 2020
कविता— आचार- संहिता
›
सुनो ! कब , क्या कहा माँ ने भूल जाओ अब वो सारी नसीहतें वो हिदायतें लिखो न अब खुद की आचार संहिता अपनी कलम से अपनी स्याही से ...
7 टिप्पणियां:
रविवार, 24 मई 2020
स्मृति चित्रण (नर में नारायण)
›
"मैं सोया और स्वप्न देखा कि जीवन आनन्द है मैं जागा और देखा कि जीवन सेवा है मैंने सेवा की और पाया कि सेवा आनंद है” ...
13 टिप्पणियां:
गुरुवार, 14 मई 2020
कविता (द्रौपदी)
›
~द्रौपदी- ~~~~~ सुनो धर्मराज युधिष्ठिर ! कहो तो क्या सोच कर तुमने द्रौपदी को जुए की बिसात पर चौसर की कौड़ियों...
7 टिप्पणियां:
सोमवार, 11 मई 2020
कविता— माँ
›
सारे दिन खटपट करतीं लस्त- पस्त हो जब झुँझला जातीं तब... तुम कहतीं-एक दिन ऐसे ही मर जाउँगी कभी...
11 टिप्पणियां:
सोमवार, 4 मई 2020
पुस्तक समीक्षा- ताना बाना
›
मन की उधेड़बुन का खूबसूरत ‘ताना-बाना’ - ~लेखिका— गिरिजा कुलश्रेष्ठ~ जब कोई आँचल मैं चाँद सितारे भरकर अँधेरे को नकारने लगे , तूफानों को ल...
मंगलवार, 21 अप्रैल 2020
कविता— कितने मुजरिम ढूँढोगे...?
›
10 टिप्पणियां:
‹
›
मुख्यपृष्ठ
वेब वर्शन देखें