ताना बाना
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शनिवार, 27 मार्च 2021
जब फागुन रंग झमकते थे
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#जब_फागुन_रंग_झमकते_थे बचपन की मधुर स्मृतियों में एक बहुमूल्य स्मृति है अपने गाँव औरन्ध (जिला मैनपुरी) की होली के हुड़दंग की। जहाँ पूरा गाँव...
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साँप-सीढ़ी
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मंगलवार, 23 मार्च 2021
अब बारी तुम्हारी
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सुनो बेटों- माना कि वे कुछ आक्रामक हैं उग्र हैं ...आन्दोलित हैं.. तेवर भी कुछ भारी हैं नहीं सुनतीं किसी की भी बस सुनतीं अपने मन ...
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बुधवार, 17 मार्च 2021
गुप्त- गोदावरी
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बारीक सी पर गहन जो पावन धारा बहती अन्तस में ... गुप्त गोदावरी फेनिल तरंगों में सबसे छिपा करती निरन्तर समाहित सारा कल्मष सारा विष सबका वम...
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सोमवार, 15 मार्च 2021
तुरपन
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गुरुवार, 11 मार्च 2021
बताना था न पापा...!
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मैं निकल पड़ती जब- तब मुँह उठा चाँद की सैर पर... अम्माँ नीचे से सोंटी दिखातीं उतर नीचे...धरती पर चल पापा अड़ जाते सामने नापने दो आकाश पंख मत...
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बुधवार, 10 मार्च 2021
सुनी हैं ...!
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सुनी हैं कान लगा कर उन सर्द तप्त दीवारों पर दफन हुई वे पथरीली धड़कनें वे काँपती सिसकियाँ और खिलखिलाहटें ! आन-बान-शान की, शौर्य की बेशुमार क...
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