ताना बाना
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बुधवार, 22 दिसंबर 2021
कविता
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दरिया नहीं कोई जो तुझमें समा जाऊँगी रे सागर, तिरे सीने पे अपने कदमों के निशाँ छोड़ जाऊँगी…!! — उषा किरण
2 टिप्पणियां:
बुधवार, 29 सितंबर 2021
हर घर कुछ कहता है
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मुझे बचपन से ही लगता है कि जिस तरह इंसान की व अन्य जीव- जन्तुओं की रूह होती है उसी प्रकार हर मकान की और पेड़ -पौधों की भी अपनी रुह होती है। ...
12 टिप्पणियां:
रविवार, 19 सितंबर 2021
स्थगित
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रेल की पटरियों पर बदहवास रोती चली जा रही दीप्ति के पीछे एक भिखारिन लग गई। - ए सिठानी तेरे कूँ मरनाईच न तो अपुन को ये शॉल, स्वेटर और चप...
27 टिप्पणियां:
मंगलवार, 14 सितंबर 2021
पुरुष- उत्पीड़न
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बहुत दुखद है कि मेरे कुछ स्टुडेंट्स का पत्नियों के द्वारा घोर उत्पीड़न हुआ है और मैं चाह कर भी कुछ भी मदद नहीं कर पाई।वे सभी सीधे- सादे भा...
15 टिप्पणियां:
शुक्रवार, 10 सितंबर 2021
लम्पट
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ठसाठस भरी बस के आते ही भीड़ उसकी तरफ लपकी। दीपक ने दोनों हाथों के घेरे में सुलक्षणा को लेकर किसी तरह बस में चढ़ाया और जैसे ही एक सीट खाली ह...
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गुरुवार, 9 सितंबर 2021
शरीफजादा
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बस में खिड़की से बाहर देखती चित्रांगदा के चेहरे और लटों से ठंडी हवाएं सरगोशियाँ कर रही थीं । हैडफोन कान से लगा कर वो गुलाम अली की गजलेों में...
17 टिप्पणियां:
मंगलवार, 7 सितंबर 2021
देवदूत
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बदहवासियों के आलम में ई सी जी, इंजैक्शन, ऑक्सीजन… नीम बेहोशियों, हवासों की गुमशुदगी में उल्टियाँ, घुटन, बेचैनी, दहशत, लाचारी हाड़ कंपाती ठिठ...
10 टिप्पणियां:
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