ताना बाना
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सोमवार, 14 मई 2018
मन्नत
एक रोटी बनाऊं
चांद जितनी बडी
जिसमें सब भूखों की
भूख समाए,
चरखे पर कोई
ऐसा सूत कातूं
कि सब नंगों का
तन ढक जाए
मेरी छत हो
इतनी विशाल
जो सभी बेसहारों की
गुजर हो जाए
कुछ ऐसा करो प्रभु
कि आज
ये सारे सपने
सच हो जाएं।
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