एक और अटल जी की कविता जिस पर यह पेंटिंग बनाई थी एग्जीबीशन के लिए...
जीवन की ढलने लगी सांझ
उमर घट गई
डगर कट गई
जीवन की ढलने लगी सांझ।
बदले हैं अर्थ
शब्द हुए व्यर्थ
शान्ति बिना खुशियाँ हैं बांझ।
सपनों में मीत
बिखरा संगीत
ठिठक रहे पांव और झिझक रही झांझ।
जीवन की ढलने लगी सांझ।
#अटलबिहारीबाजपेयी
वाह बहुत खूब कविता और तालमेल बिठाती पेंटिंग ,बधाई की पात्र हैं आप 👌
जवाब देंहटाएंधन्यवाद अर्चना जी हौसला बढ़ाने के लिए !
हटाएंब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, परमात्मा को धोखा कैसे दोगे ? - ओशो “ , मे आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
जवाब देंहटाएंआभार आपका !
हटाएंआभार अनुराधा जी
जवाब देंहटाएंआभार आपका
जवाब देंहटाएंबेहतरीन पेंटिंग है। कवि पाते तो खुश हो जाते।
जवाब देंहटाएंधन्यवाद !
जवाब देंहटाएंWoori Casino No Deposit Bonus 2021 | Free Play in Demo
जवाब देंहटाएंWoori Casino offers a variety of 더킹카지노 free spins and no deposit bonuses, ventureberg.com/ as wooricasinos.info well as regular promotions. As you can't claim this offer without https://octcasino.com/ being 바카라사이트 registered