शुक्रवार, 2 सितंबर 2022

अफसोस


 

जाकर मिल भी लो दिल के करीब हैं जो

आजकलपरसों पर टालते ही मत रहो

निकालो कुछ वक्तहाथों में हाथ थाम 

प्यार की फुहारों में भीग  लो कुछ वक्त


क्या पता कल फिर वक्त मिले  मिले

हो सकता है किसी को तुम्हारा इंतजार हो

हो सकता है तुमको किसी का इंतज़ार है

पर वक्त तो तुम्हारा इंतजार नहीं करता


उसका तो फंदा अपने वक्त पर तैयार है

तुम टाल सकते हो,वक्त कभी नहीं टलता 

और तुम दिल में टीस दबाए हाथ मलते

एक दिन शामिल होगे उसकी शोक सभा में 

और बुदबुदाओगे भारी मन और भरे गले से 


माफ करना दोस्त  नहीं सका बस

अफसोस से भरे बेचैनी में तड़पते हुए 

इसके सिवा और क्या बचेगा कहने को-

ॐशान्तिॐशान्तिॐशान्ति 🙏💐

—————————————-

-उषा किरण 

16 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा आज रविवार 4 सितम्बर, 2022 को     "चमन में घुट रही साँसें"   (चर्चा अंक-4542)  (चर्चा अंक-4525)
       
    पर भी होगी।
    --
    कृपया कुछ लिंकों का अवलोकन करें और सकारात्मक टिप्पणी भी दें।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    --
    डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'  

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  2. सही भाव। कभी तो यह भी पता नहीं चलता किसको किसका इंतज़ार है और वक्त गुजर जाता है।

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    1. जी वही तो…कई बार समझने से पहले ही पटाक्षेप हो जाता है एर हम बस अफसोस करते रह जाते हैं…हार्दिक आभार!

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  3. बहुत ख़ूब !
    रिश्ते-नाते बनाए रखने के लिए कबीरदास की सलाह -
    'काल करे सो आज कर, आज करे सो अब्ब'
    पर अमल करना चाहिए.

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    उत्तर
    1. सही कह रहे हैं आप…बहुत शुक्रिया

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  4. आपकी लिखी रचना सोमवार 5 सितम्बर ,2022 को
    पांच लिंकों का आनंद पर... साझा की गई है
    आप भी सादर आमंत्रित हैं।
    सादर
    धन्यवाद।

    संगीता स्वरूप

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  5. वज़ह लाख़ हो मसरूफ़ियत के
    अश्क़ जितने बहा लो कैफ़ियत के
    मिलने के लिए एक बहाना काफी था
    साँस टूटने के बाद याद आया हमें
    हाल पूछ ही न पाये उनके ख़ैरियत की...।
    -------
    सस्नेह।

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    1. उफ्…कितनी सुन्दर पंक्तियाँ…👏👏😊

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  6. बहुत सटीक... समय निकाल कर मिल लेना ही चाहिए अपनो को वरना अफसोस ही रह जायेगा ।
    लाजवाब सृजन ।

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  7. सुंदर सटीक सहज चिंतन देता सृजन।

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  8. यदि यही जान ले कोई तो शायद रिश्तों की सभी गाँठे खुल जाएँ।एक भावपूर्ण अभिव्यक्ति।हार्दिक आभार उषा जी 🙏

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  9. बहुत शुक्रिया…सही कहा आपने 👌

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