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शुक्रवार, 28 फ़रवरी 2025
सरेराह चलते-चलते
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राहों से गुजरते कुछ दृश्य आँखों व मन को बाँध लेते हैं । जैसे सजी- धजी , रंग- बिरंगी सब्ज़ियों या फलों की दुकान या ठेला, झुंड में जातीं गाय...
5 टिप्पणियां:
बुधवार, 19 फ़रवरी 2025
दादी
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मैंने अपने बाबा दादी को नहीं देखा । बाबा को तो ताता जी( पापा) ने भी नहीं देखा जब वे कुछ महिने के थे तभी उनका स्वर्गवास हो गया था। ताताजी की ...
6 टिप्पणियां:
गुरुवार, 30 मई 2024
इससे पहले
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ज़िंदगी में कुछ हादसे, कुछ लोग या उनसे जुड़ी बातें या कुछ अफ़सोस ऐसे होते हैं जो सालों बाद भी पीछा नहीं छोड़ते।चाह कर भी भुला नहीं पाते और ...
5 टिप्पणियां:
बुधवार, 13 मार्च 2024
यादों के गलियारों से
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मेरी कितनी ही दोस्त हैं पर हम कभी भी एक दूसरे के घर रहने के लिए नहीं जाते। हमारी अम्माँ की बचपन की एक दो सहेलियाँ थीं और ताताजी के भी दो तीन...
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