ताना बाना
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मंगलवार, 22 मार्च 2022
जब फागुन रंग झमकते थे
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बचपन की मधुर स्मृतियों में एक बहुमूल्य स्मृति है अपने गाँव औरन्ध (जिला मैनपुरी) की होली के हुड़दंग की। जहाँ पूरा गाँव सिर्फ चौहान राजपूतों क...
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गुरुवार, 17 मार्च 2022
श्रीलंका यात्रा संस्मरण
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कोरोना के चलते हम लोग दो साल से बेटे-बहू से नहीं मिल सके थे फिर अपनी तीन महिने की पोती मीरा से मिलने की भी मन में तीव्र उत्कंठा थी, तो जनवर...
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बुधवार, 9 मार्च 2022
यूँ भी
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किसी के पूछे जाने की किसी के चाहे जाने की किसी के कद्र किए जाने की चाह में औरतें प्राय: मरी जा रही हैं किचिन में, आँगन में, दालानों में बि...
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बुधवार, 22 दिसंबर 2021
कविता
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दरिया नहीं कोई जो तुझमें समा जाऊँगी रे सागर, तिरे सीने पे अपने कदमों के निशाँ छोड़ जाऊँगी…!! — उषा किरण
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बुधवार, 29 सितंबर 2021
हर घर कुछ कहता है
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मुझे बचपन से ही लगता है कि जिस तरह इंसान की व अन्य जीव- जन्तुओं की रूह होती है उसी प्रकार हर मकान की और पेड़ -पौधों की भी अपनी रुह होती है। ...
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रविवार, 19 सितंबर 2021
स्थगित
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रेल की पटरियों पर बदहवास रोती चली जा रही दीप्ति के पीछे एक भिखारिन लग गई। - ए सिठानी तेरे कूँ मरनाईच न तो अपुन को ये शॉल, स्वेटर और चप...
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मंगलवार, 14 सितंबर 2021
पुरुष- उत्पीड़न
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बहुत दुखद है कि मेरे कुछ स्टुडेंट्स का पत्नियों के द्वारा घोर उत्पीड़न हुआ है और मैं चाह कर भी कुछ भी मदद नहीं कर पाई।वे सभी सीधे- सादे भा...
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