ताना बाना

TANA BANA

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शुक्रवार, 22 अप्रैल 2022

बहरे

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  सीट मिलते ही शुभदा आराम से बैठ गई।डॉक्टर ने पन्द्रह दिन बाद की डिलीवरी डेट दे दी थी। शुभदा छह महिने की मैटरनिटी लीव की एप्लिकेशन देकर कॉले...
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मंगलवार, 22 मार्च 2022

जब फागुन रंग झमकते थे

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बचपन की मधुर स्मृतियों में एक बहुमूल्य स्मृति है अपने गाँव औरन्ध (जिला मैनपुरी) की होली के हुड़दंग की। जहाँ पूरा गाँव सिर्फ चौहान राजपूतों क...
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गुरुवार, 17 मार्च 2022

श्रीलंका यात्रा संस्मरण

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कोरोना के चलते हम लोग दो साल से बेटे-बहू  से नहीं मिल सके थे फिर अपनी तीन महिने की पोती मीरा से मिलने की भी मन में तीव्र उत्कंठा थी, तो जनवर...
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बुधवार, 9 मार्च 2022

यूँ भी

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किसी के पूछे जाने की किसी के चाहे जाने की  किसी के कद्र किए जाने की चाह में औरतें प्राय:  मरी जा रही हैं किचिन में, आँगन में, दालानों में बि...
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बुधवार, 22 दिसंबर 2021

कविता

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  दरिया नहीं कोई जो तुझमें समा जाऊँगी  रे सागर,  तिरे सीने पे अपने  कदमों के निशाँ छोड़ जाऊँगी…!!                    — उषा किरण 
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बुधवार, 29 सितंबर 2021

हर घर कुछ कहता है

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मुझे बचपन से ही लगता है कि जिस तरह इंसान की व अन्य जीव- जन्तुओं की रूह होती है उसी प्रकार हर मकान की और पेड़ -पौधों की भी अपनी रुह होती है। ...
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रविवार, 19 सितंबर 2021

स्थगित

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      रेल की पटरियों पर बदहवास रोती चली जा रही दीप्ति के पीछे एक भिखारिन लग गई। - ए सिठानी तेरे कूँ मरनाईच न तो अपुन को ये शॉल, स्वेटर और चप...
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उषा किरण
तूलिका और लेखनी के सहारे अहसासों को पिरोती रचनाओं की राह की एक राहगीर.
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