विदा के बाद समेट रही थी घर, दोने, पत्तल, कुल्हड ढोलक, घुंघरू, मंजीरे सब ठिकाने पहुंचाए सौगातें बांटी भाजी सबके साथ बांधी फुर्सत से डायरी उठा हिसाब लेकर बैठी कितना खर्चा कितना आया हैरान थी घटा कुछ भी नहीं था बेटी तो आज भी उतनी ही अपनी थी ब्याज में एक अपना सा बेटा भी पीछे मुस्कुराता खडा था।
हार्दिक बधाई उषा जी । स्वागत है आपका ब्लॉग बिरादरी में । बहुत ही खूबसूरत कविता पढ़ी आपकी मुनाफा । आपकी सकारात्मक सोच को सलाम । बहुत खुशी हुई अब आपसे आपकी रचनाओं के माध्यम से भी जुड़ने का अवसर मिलेगा ।
जी नमस्ते, "पाठकों की पसंद" के अंतर्गत हमारी विशेष अतिथि आदरणीया साधना जी ने आपकी रचना पसंद की है। आपकी लिखी रचना शुक्रवार १६ नवंबर २०१८ के लिए साझा की गयी है पांच लिंकों का आनंद पर... आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।
वाह , बधाई इस सुन्दर ब्लॉग के लिये .
जवाब देंहटाएंआभार आपका 🙏
हटाएंबहुत खूब!,सबको अपना लिया ....आपने ब्लॉग बनाकर रचनाओं को सहेज लिया हमारे लिए,आभार आपका 🙏
जवाब देंहटाएंआपकी ,शिखा और वन्दना ...की ही प्रेरणा से बना ,मुझे भी अच्छा लग रहा है सब रचनाएं यहां सुरक्षित रहेंगी 😊...आपका आभार 🙏
हटाएंहिन्दी ब्लॉग जगत में आपका स्वागत है.
जवाब देंहटाएंजी मैडम...अब क्या कहें...धन्यवाद आपको पसंद नहीं है
हटाएंब्लॉगर होने की बधाई,
जवाब देंहटाएंमुनाफ़ा हो तो अपना होना सार्थक लगता है
आभार 🙏
हटाएंब्लॉग की बहुत बहुत बधाई...
जवाब देंहटाएंधन्यवाद ऋता जी !
हटाएंहार्दिक बधाई उषा जी । स्वागत है आपका ब्लॉग बिरादरी में । बहुत ही खूबसूरत कविता पढ़ी आपकी मुनाफा । आपकी सकारात्मक सोच को सलाम । बहुत खुशी हुई अब आपसे आपकी रचनाओं के माध्यम से भी जुड़ने का अवसर मिलेगा ।
जवाब देंहटाएंआपकी प्रतिक्रिया अनमोल होगी मेरे लिए
जवाब देंहटाएंएक अपना सा बेटा पीछे मुस्कुराता हुआ खड़ा था
जवाब देंहटाएं😊
जवाब देंहटाएंजी नमस्ते,
जवाब देंहटाएं"पाठकों की पसंद" के अंतर्गत हमारी विशेष अतिथि आदरणीया साधना जी ने आपकी रचना पसंद की है।
आपकी लिखी रचना शुक्रवार १६ नवंबर २०१८ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।
बहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर...
जवाब देंहटाएंवाह बहुत ही सुंदर भावों से सजी प्यारी रचना।
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