ताना बाना
TANA BANA
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बुधवार, 6 जनवरी 2021
असुर
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बहुत मुश्किल था एकदम नामुमकिन वैतरणी को पार करना पद्म- पुष्पों के चप्पुओं से उन चतुर , घात लगाए, तेजाबी हिंसक जन्तुओं के आघातों से बच प...
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गुरुवार, 17 दिसंबर 2020
चाह
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मत देना मुझे कभी भी इतनी ऊँचाई कि गुरुर में गर्दन अकड़ जाए और सुरुर में भाल झुके न कहीं, नाक उठा दिखाऊँ हरेक को उंगली की सीध में बस अ...
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बुधवार, 16 दिसंबर 2020
" तुम कौन “
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दूर हटो तुम सब यदि नहीं भाता , मेरा तरीका तुमको मत सिखाओ मुझे ये करो ये न करो ऐसे बोलो ऐसा न बोलो वहाँ जाओ यहाँ मत जाओ ये देखो वो मत देखो इस...
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मंगलवार, 8 दिसंबर 2020
जेब
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दो गज कपड़ा लेकर सिलवा लेना बहुत सी जेबें भर लेना उसमें फिर अपनी पद- प्रतिष्ठा मैडल-मालाएं मेज- कुर्सी कोठी-कार किताबें-फाइलें बैंक- बैल...
9 टिप्पणियां:
रविवार, 6 दिसंबर 2020
पुस्तक - समीक्षा (ताना-बाना)
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सुप्रसिद्ध ब्लॉगर एवम् सम्वेदनशील लेखिका आदरणीय Sangeeta Swarup जी को कौन नहीं जानता ! उन्होंने ताना-बाना पढ़ क...
मंगलवार, 17 नवंबर 2020
खिलाड़ी
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रे खिलाड़ी ये कैसी बिसात ये कैसी बाजी..? तन का तेल रूह की बाती सब कुछ जला सब निछावर कर औरतें हरती है तमस लाती है उजास और उस उजास में दे...
3 टिप्पणियां:
गुरुवार, 12 नवंबर 2020
बेटी का पिता
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तेरे नन्हें पावों की रुनझुन से झंकारित तेरी हथेलियों के बूटों से अलंकृत तेरी बातों की गुनगुन से गुँजारित तेरे पहने रंगों से झिलमिल और ते...
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