ताना बाना

मन की उधेड़बुन से उभरे विचारों को जब शब्द मिले

तो कुछ सिलवटें खुल गईं और कविता में ढल गईं

और जब शब्दों से भी मन भटका

तो रेखाएं उभरीं और

रेखांकन में ढल गईं...

इन्हीं दोनों की जुगलबन्दी से बना है ये

ताना- बाना

यहां मैं और मेरा समय

साथ-साथ बहते हैं

शनिवार, 26 जून 2021

सुनो चाँदनी की धुन





मेरी बहुत प्रिय, बहुमुखी प्रतिभा-सम्पन्न सखी    Sheetal Maheshwari की पेन्टिंग  ने मुझे आज इस कदर आन्दोलित कर दिया कि आज के चित्र पर कविता बह निकली ।लगता है शीतल ने आजकल कायनात को ही ओढ़- बिछा रखा है…वो ही हमजोली है , और वही गुरु। ध्यान से देखिए इन चित्रों में शीतल की रूह साँस लेती सुनाई पड़ेगी…एक रूहानी अहसास गुनगुनाता है इनमें। काली-सफेद इन डिजिटल पेंटिंग्स में आपको रात की कालिमा पर चाँदनी की ,निराशा पर आशा की , मौन पर संगीत की विजय दिखाई देगी।

साहित्य, संगीत, कला की भागीरथी में वे सतत डुबकी मार कुछ नायाब रचती हैं ।मात्र कुछ ही वर्षों पूर्व शुरु हुई कला यात्रा में शीतल ने जाने कितनी डिजिटल पेंटिंग्स में अपना विस्तार किया…कुछ पुस्तकों के आवरण पृष्ठ बनाए तो एकाध में कथा- चित्रण (स्टोरी इलस्ट्रेशन ) भी रचे।यहाँ ये बता दूँ कि शीतल ने कहीं भी विधिवत कला-प्रशिक्षण नहीं लिया है।

वेबसाइट रेडियोप्लेबैकइंडिया पर भी इन्होंने कुछ कहानियों को अपनी आवाज दी है।

वे खुद भी गाती हैं और कविताएं भी लिखती हैं लेकिन कई साथी कलाकारों के गानों को चित्रों से सजाकर बेहद सुन्दर वीडियो यूट्यूब पर डालती रहती हैं। Rashmi Prabha जी ने मेरी पुस्तक ' ताना- बाना’ पर कई दिनों तक बेहद शानदार तरीके से अपने भाव व्यक्त किए तो शीतल ने उनको भी सुन्दर चित्रों से सजा कर कई सुन्दर वीडियो में ढालकर यूट्यूब पर जड़ कर प्यार बरसाया…अभीभूत हो गई दोनों सखियों के इस प्यार पर…नशा सा तारी है आजतक…और इससे ज्यादा क्या चाहे कोई अपनी किसी किताब का मूल्य या कोई अवार्ड ?

जहाँ सबको अपनी पड़ी रहती है वहीं दूसरों की प्रतिभा पर टॉर्च मारना कोई शीतल से सीखे।

वो शान्त नहीं बैठ सकती …उसके बेचैन क्रिएटिव माइन्ड में कुछ न कुछ तो कुलबुलाता ही रहता है। उनका चमत्कारिक उत्साह हैरान करता है। प्यार से कहती हूँ - `यार कितनी उपजाऊ है तोहार खोपड़िया 😂’

तो आप भी सुनिए इनके चित्रों में चाँदनी और भावों की जुगलबन्दी…!!


शीतल के आज के चित्र पर मेरी कविता-


रोज रात को-

कभी चाँद मुझे ओढ़ता है

और कभी मैं उसे pop

कभी चाँदनी बरसती है मुझ पर

और कभी मैं उस पर 


तारों की जगमग पायल पहनती हूँ कभी 

तो कभी वे शामिल कर लेते हैं हाथ पकड़कर 

मुझे छुप्पमछुपाई में


और तमाम रोज इस तरह हो जाती है 

रात करिश्माई हम दोनों के खेल में


सुबह आते है फिर कड़क सूरज हैड मास्टर

डंडा दिखा हड़काते है , चश्मे के ऊपर से झाँकते हैं -

`एई ऊधम नहीं 

घालमेल कतई  मंज़ूर नहीं ‘

और हमें अपनी अलग- अलग कक्षा में मुँह पर उंगली रख बैठा जाते हैं…!!

                                                  — उषा किरण            

                                                 🍃☘️🌱🍁🌿🌱🍀

















       रात ढलान
   यादों की फिसलन 
       कुचला मन
       —शीतल माहेश्वरी



औढ़ ली  फिर से 
एक ख्याल चांदनी 
एक ख्वाब चांद सा
                -शीतल माहेश्वरी


लहरें नाव
साहिल की तलाश
जीवन चांद
        — शीतल माहेश्वरी



असमंजस ..

में है देहरी..

कदमों की आहट पर 

उस पार 

सपनों की लौ दिखाऊं

या नीले अंधकार की राह बतलाऊं

                   — शीतल माहेश्वरी



फिर एक गीत याद आया " मिलो न तुम तो हम घबराए,मिलो तो आंख चुराए"




                                          

28 टिप्‍पणियां:

  1. ये चित्र तो अद्भुत हैं। असाधारण प्रतिभा की स्वामिनी हैं आपकी मित्र ये महिला चित्रकार। और आपकी कविता भी सटीक है।

    जवाब देंहटाएं
  2. सुन्दर चित्र और उतने ही सुन्दर आपके भाव कविता में | साधुवाद !!

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  3. जी नमस्ते ,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (२७-0६-२०२१) को
    'सुनो चाँदनी की धुन'(चर्चा अंक- ४१०८ )
    पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित है।
    सादर

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    उत्तर
    1. आपका बहुत धन्यवाद दिगम्बर जी मेरी रचना का चयन करने के लिए !

      हटाएं
  4. आप सभी का और उषा दी का तहेदिल से शुक्रिया।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. शुक्रिया की कोई बात नहीं शीतल…प्यार तुमको🥰

      हटाएं
  5. सब कुछ बहुत बहुत सुन्दर भी सराहनीय भी । आपको व आपकी युगल सहेलियों को बहुत बहुत शुभ कामनाएं ।

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  6. सुंदर भावों से सुसज्जित आपका लेख ।
    साधुवाद ।

    सादर

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  7. सुन्दर भावाभिव्यक्ति को चार चाँद लगाते खूबसूरत चित्र ।एक दूसरे की पूरक अभिव्यक्ति ।

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  8. वाह!बहुत ही सुंदर सृजन मोहक छठा बिखेरता।
    सराहनीय चित्र।
    सादर

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  9. वाह!सखीत्व का प्रगाढ़ बंधन एक दूसरे को अंतर तक पहचानने का सुंदर सफर अद्भुत अप्रतिम चित्र और इतनी ही गहन अभिव्यक्ति दोनों पूरक एक दूसरे के।
    बहुत सुंदर।

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  10. खूबसूरत चित्रों को शब्दों से और ज्यादा सँवार दिया आपने,आप दोनों सहेलियों की जोड़ी यूँ ही बनी रहें,सादर नमन आपको

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  11. बहुत ही खूबसूरत एवं मनभावन चित्र.एवं लाजवाब सृजन।सच में आप दोनों सखियों की युगलबंदी हमेशा बरकरार रहे।

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  12. चित्र और शब्दों का संगम बेहतरीन ।
    ये प्रेम का स्रोत निरंतर बहता रहे ।
    कुछ और प्यासों को पानी मिले ।
    आप दोनो को बधाई और शुभकामनाएँ ।

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    उत्तर
    1. संगीता जी, बना रहे आपका प्यार…शुक्रिया 🥰🙏

      हटाएं

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