ताना बाना

मन की उधेड़बुन से उभरे विचारों को जब शब्द मिले

तो कुछ सिलवटें खुल गईं और कविता में ढल गईं

और जब शब्दों से भी मन भटका

तो रेखाएं उभरीं और

रेखांकन में ढल गईं...

इन्हीं दोनों की जुगलबन्दी से बना है ये

ताना- बाना

यहां मैं और मेरा समय

साथ-साथ बहते हैं

शनिवार, 26 जनवरी 2019

सफरनामा — वो हवाई यात्रा...


सिंगापुर से दिल्ली की फ्लाइट में सीट नं० ढूँढती अपनी सीट तक पहुँची तो वहाँ एक यँग लड़की पहले से विराजमान थी...हमने कहा `ये हमारी सीट है’...तो लगी बहस करने काफी जद्दोजहद के बाद सीट से उठ कर नं० को झाँक कर देखा ...उसके बराबर की बाकी सीट पर मम्मी जी ,पापा जी और भैया बैठे हमें घूर रहे थे ...बोली “आप उधर पीछे बैठ जाओ मेरे पापा की सीट पर “...मैंने कहा नहीं हम यहीं बैठेंगे बराबर वाली रो में साथ ही में मेरे पति की सीट थी हमने इशारा कर कहा हम दोनों भी साथ हैं ...तो बोली " आप कहीं भी पीछे बैठ जाओ “...हमारा इतनी देर में मुँह तमतमा चुका था हमने जोर देकर कहा "नहीं आप उठिए हमें अपनी ही सीट पर बैठना है “...उसके पापा उठ कर पीछे जाने लगे और पूरे परिवार ने हमें घूरना शुरु कर दिया... जैसे हमने ही उनके अधिकारों का हनन कर लिया हो ...हम आराम से अपनी सीट पर व्यवस्थित हो गए...बैल्ट बाँध कर जैसे ही रिमोट उठाया तो बोली "मैं हैल्प करूँ आपकी”..."नो थैंक्स ”कह हमने मनपसंद मूवी  लगा ली । सीट बैल्ट खोलने का सिग्नल मिलने पर हमने सीट को पीछे कर जैसे ही रिलैक्स करना चाहा पीछे भूचाल आ गया ...हमारी सीट को धक्के दिए जाने लगे बड़बड़ भी शुरु हो गई...हमने मुड़ कर देखा तो मोहतरमा झुँझलाईं कि हमें टॉयलेट जाना है कैसे जाएं ...हमने शराफत से सीट आगे कर ली जब वो वापिस सीट पर आ गईं और डिनर फ़िनिश हो गया तो हमने फिर बटन दबा कर जैसे ही सीट पीछे की वैसे ही उनकी बड़बड़ फिर शुरू ...हमने खड़े होकर समझाया कि आप भी कर लो अपनी सीट पीछे देखिए सभी ने की है पर वो पति पत्नि हमें बड़ी बड़ी आँखें फैला नफरत से घूरते रहे और सारे रास्ते हाथ और भौंह नचा कर इशारों से दूसरी पंक्ति में बैठे हमारे पति से हमारी लानत मलामत करती रहीं ...हमारे पति चुपचाप मजे लेते रहे मन ही मन कह रहे होंगे "गलत पँगा ले लिया बेट्टे तूने आज ..”🤣😜उधर बराबर वाली लड़की का रिमोट ठीक से काम नहीं कर रहा था कई रिमोट बदलने पर भी जब नहीं चला तो उसने डिनर सर्व करती सभी एयर होस्टेज को "इक्सक्यूज मी “ कह कर शिकायत हर दो मिनट पर करनी शुरू कर दी...पर आखिर तक भी समस्या का समाधान नहीं हो सका ...एक टाइम के बाद एयर होस्टेज ने भी अनसुना करना शुरु कर दिया और वो बेचैन आत्मा पाँच घँटे तक फड़फड़ाती रही...दरअसल बहुत बड़ा एक ग्रुप था उन लोगों का जो मुज़फ़्फ़रनगर  जा रहा था  पीछे वाली भी उसी की आंटी थीं ...समूह बल से हौसले सभी के बेहद बुलंद थे..और उत्साह चरम पर...यात्रा को भी हर कीमत पर पिकनिक की तरह एन्जॉय करने के मूड में थे...हमने सारा ध्यान खाने पीने और मूवी में केन्द्रित किया और पीछे व बराबर से आती फुँफकारों को सिरे से योगनिद्रा अपना कर इग्नोर कर दिया...सफर के अँत तक ट्रॉली  में सामान उठा कर बाहर जाने तक वे कई जोड़ी आँखेँ हमें लगातार घूर कर भस्म करने का प्रयास करती रहीं....दोष हमारा सिर्फ यही था कि हम अपनी सीट चेंज नहीं करना चाहते थे...ऐसे लोगों को मेरा सुझाव है कि आगे से कृपया पूरा प्लेन बुक करा कर ही यात्रा करें 😂...धन्यवाद 🙏
     #सफरनामा

2 टिप्‍पणियां:

ॐ श्रीकृष्णः शरणं मम

 सबसे गहरे घाव दिए उन सजाओं ने— जो बिन अपराध, बेधड़क हमारे नाम दर्ज कर दी गईं। किए अपराधों की सज़ाएँ सह भी लीं, रो भी लीं… पर जो बेकसूर भुगत...