बहुत दुखद है कि मेरे कुछ स्टुडेंट्स का पत्नियों के द्वारा घोर उत्पीड़न हुआ है और मैं चाह कर भी कुछ भी मदद नहीं कर पाई।वे सभी सीधे- सादे भावुक हृदय कलाकार हैं।
दो को तो जेल भी जाना पड़ा। पत्नि उत्पीड़न, वकीलों द्वारा शोषण, आर्थिक हानि, सामाजिक प्रताड़ना सहने के बाद भी वे किस तरह जिन्दगी में आगे बढ़ सके ये मैं ही जानती हूँ ।
वे रोते थे, छटपटाते थे, तो मैं उनको आँसू पोंछने के लिए अपना आँचल व हौसला ही दे सकी ,और कोई भी मदद चाह कर भी नहीं कर सकी।कई वकीलों से बात करने के बावजूद भी।कई बार लगता था कि लॉ की पढ़ाई ही कर लूँ जिससे मदद कर सकूँ। सारे नियम-कानून की सहानुभूति महिला के पक्ष में ही क्यों हैं ?कहाँ जाएं ये ?
ऐसा नहीं कि लगभग चालीस साल की जॉब के बीच मेरी कुछ गर्ल्स स्टुडेंट का उत्पीड़न नहीं हुआ…कई का हुआ। रास्ता आसान उनका भी नहीं था परन्तु उनके साथ समाज, परिवार, कानून, पुलिस, सब थे अत: उनकी मदद के लिए रास्ते अवरुद्ध नहीं थे।
अभी हाल में ही मेरे एक बेहद हंसमुख, जिंदादिल स्टुडेंट ने शादी के साल भर के भीतर ही पत्नि की कलह व बात-बात पर नीचा दिखाए जाने से क्षुब्ध होकर खुद को रेल की पटरियों के हवाले कर दिया।दो साल पहले ही अपनी माँ की कैंसर के कारण मृत्यु से वो पहले ही टूटा हुआ था । सारी क्लास सदमे में थी सब बारी- बारी फोन कर अपना दुख व्यक्त कर रहे थे। क्या समझाती उनको ? मुझे खुद भी कई दिन तक नींद नहीं आई।
एक रिसर्च स्कॉलर को पत्नि ने उसे जहर देने की कोशिश की जबकि लव मैरिज थी। एक और स्टुडेंट की पत्नि शादी के बाद मायके से बिना बताए कुछ ब्वॉयफ्रैंड्स के साथ नैनीताल घूमने गईं और ढेरों ड्रामा करके तलाक के बाद बेहद घटिया जीवन शैली अपनाए हुए है आज।जब तलाक का केस चल रहा था तो उसके वकील से ही इश्क शुरु कर दिया। रिश्तेदारों ने दूसरी शादी गारन्टी लेकर करवाई तो पता चला उसे सीजोफ्रेनिया है। अब भुगत वो रहा है और रिश्तेदार हाथ झाड़ कर अलग खड़े हैं।
मेरे एक परिचित जो खुद सुप्रीम- कोर्ट में नामी वकील हैं , पत्नि द्वारा उत्पीड़ित हो कुछ नहीं कर सके…खुद अपनी भी मदद नहीं कर सके और केस में सब कुछ हार बैठे।
आज मेरे एक और बेहद टैलेन्टेड स्टुडेंट का फोन आया जिसने बी ए की पढ़ाई एक साल करके छोड़ दी और दिल्ली से बी एफ ए की पढ़ाई की, जामिया में कुल पाँच सीट थीं जहाँ एडमिशन मिला तो एम एफ ए करके टीचिंग जॉब में है। वो लगातार मेरे सम्पर्क में रहता है।
पता चला कि एक तो कोरोना के कारण उसकी माँ की डैथ हो गई ,पत्नि ने तलाक का केस पहले ही चला रखा है। जब साथ थी तो कई बार उसको बहुत मारा, बेटी साथ ले गई, जेवर भी ले गई, अब दुबारा कह रही है कि जेवर दो मेरा। मैं तुझे जेल भेजूँगी ।दहशत व दुख से उसको पिछले दिनों बहुत तगड़ा हार्ट- अटैक आ गया । माँ का सदमा भूल नहीं पा रहा, शुगर का पेशेन्ट है। वकील कह रहा है कि जेल जाना पड़ सकता है ।वो यही सोच कर काँप रहा था, रो रहा था और मैं समझा रही थी कि `तो क्या हुआ? हो आना थोड़े दिन को ! मेन्टली मजबूत रहो।’ परन्तु एक कलाकार जो बेहद खूबसूरत चित्र बनाता हो, चित्र-प्रदर्शनी लगाता हो, टीचर हो उसके लिए ये आसान नहीं ये मैं भी जानती हूँ लेकिन साँत्वना देती रही डाँटती रही रोना बन्द करो …दिल मजबूत करो। वो कह रहा था कि मैम मेरी जॉब प्राइवेट कॉलेज में है तो वो छूट जाएगी। उसने CAW (Crime against Women Cell ) Delhi में भी रिपोर्ट कर दी है ? परिवार की आर्थिक स्थिति खराब है। भाई का जॉब भी छूट गया है, बहन पति से प्रताड़ित होकर वापिस घर आ गई है और उसकी पत्नि अनाप- शनाप पैसे माँग रही है। उसका रईस बाप धमका रहा है ।
मैं नहीं जानती कि उसको कैसे बचाया जाय? कोई कानून, कोई एन जी ओ , कोई तरीका हो तो प्लीज़ मुझे बताओ आप लोग।मार्गदर्शन करो।वे सब अपनी मासूमियत खोकर डिप्रेशन के शिकार होते जा रहे हैं।
कभी- कभी लगता है कि मेरे ही स्टुडेंट का भाग्य खराब है या ये समाज की आम सच्चाई है ? महिलाओं के उत्पीड़न के तो हम सभी विरोध में खड़े हो जाते हैं, लेकिन लड़कियों के जुल्म के शिकार हुए से सीधे- सादे लड़के बेचारे कहाँ जाएं ?
कौन हैं ये लड़कियाँ, कहां से आती हैं ? जिनमें इंसानियत, ममता, सच्चरित्रता नाम को नहीं है। बस मौज-मस्ती और पैसे की हवस रहती है।
ये कैसे संस्कारों में पली- बढ़ी हैं….हैरान हूं बहुत।
मैं नहीं जानती कि उसको कैसे बचाया जाय? कोई कानून, कोई एन जी ओ , कोई तरीका हो तो प्लीज़ मुझे बताओ …मार्गदर्शन करो।
— उषा किरण
आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" बुधवार 15 सितंबर 2021 को लिंक की जाएगी ....
जवाब देंहटाएंhttp://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद! !
मेरी रचना का चयन करने के लिए बहुत शुक्रिया!
हटाएंसमाज का एक पक्ष यह भी है जो सच है
जवाब देंहटाएंकानून से भी तभी कुछ होगा जब न्याय की उम्मीद रखने वाला मजबूत रहेगा
जी बिलकुल, यही मैं समझाती रहती हूँ कि मन को और शरीर को स्वस्थ रखो तभी ये लड़ाई जीत सकोगे !
हटाएंहृदय को झकझोर देने वाली घटनाओं से रूबरू कराता बहुत ही मार्मिक लेख!
जवाब देंहटाएंकभी-कभी लगता है कि मेरे ही स्टुडेंट का भाग्य खराब है या ये समाज की आम सच्चाई है ? मैं आपके स्टूडेंट की नहीं बल्कि समाज की सच्चाई है अक्सर बहुत सी लड़कियां और उनके घरवाले कानून द्वारा मिली पावर का गलत इस्तेमाल करते हैं अगर कभी किस कोई लड़की आत्महत्या कर लेते घरेलू कलह के चलते जिसमें उसकी गलती अधिक होती है!लेकिन पूरी गलती लड़के वाले के परिवार को दी जाती हैं!जितने भी केस होते हैं सारे लगा दिए जाते हैं!ऐसे मामलों की जांच निष्पक्ष रूप से होने की जरूरत है! और कड़ी से कड़ी सजा देने की जरूरत है जिससे हर किसी को इस बात का एहसास हो सके कि कोई भी अपने लड़की होने का गलत फायदा नहीं उठा सकती अगर कोई लड़की है!तो इसका मतलब यह नहीं कि वह कुछ गलत नहीं कर सकती सारी गलती लड़के वालों की ही होती है!या फिर लड़के की होती है! बहुत सी लड़कियां हैं! जो अपने लड़की होने का गलत फायदा उठाते हैं!हमेशा जो अत्यंत दुखद और घातक है! काश कि मैं आपकी कुछ मदद कर पाती है!पर मुझे ऐसे किसी एनजीओ या संगठन के बारे में नहीं पता जो आपकी मदद कर सके !आई एम सो सॉरी😥😥😥😥😥😥😥😥🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏 पर मुझे पूरा उम्मीद है कि आपको जल्द ही कोई ऐसा मिल जाएगा जो आपकी तथा आपके स्टूडेंट की मदद करेगा और न्याय दिलाएगा!
लेकिन ऐसी लड़कियों को सजा दिलाना बहुत ही जरूरी है जिससे दोबारा ऐसी घटनाएं ना हो किसी के साथ ऐसा ना हो !
मनीषा आपने पोस्ट को बहुत ध्यान से पढ़ा व समझा है …कुसूरवार जो भी हो उसको उचित सजा मिलनी चाहिए और यदि साथ नहीं रहना तो कोई रास्ता निकाल कर रास्ते अलग कर लें…। पोसंट पढ़ कर एक वकील साहब रुचि ले तो रहे हैं देखिए क्या रास्ता निकलता है ? मुश्किल ये है कि उसकी आर्थिक स्थिति बहुत खराब है इस समय और कोर्ट तो कुछ राशी ही तय करेगी…शुक्रिया आपका रुचि लेने के लिए
हटाएंबहुत सुन्दर मार्मिक लेख |पर उषा जी सच यह है कि कम कोई नहीं है | जहाँ जो सशक्त है वह वहां अपने बल का पूरा लाभ उठाता है | यह केवल पद पढाई या धन की बात नहीं है |मानसिकता का रोग है |
जवाब देंहटाएंसहमत हूँ आलोक जी आपकी बात से कम कोई नहीं । पर कुछ लोगों की मान्यता है कि बस औरतों का ही उत्पीड़न होता है ऐसा नहीं है पुरुषों का भी कई बार स्त्रियों द्वारा बहुत शोषण होता है।
जवाब देंहटाएंसादर नमस्कार दी।
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छा लगा आपने इस विषय पर लिखा।
समाज में तेजी से फैल रही मानसिक बीमारी है यह लड़कियों का स्वतंत्रता के नाम पर बदलता व्यवहार विचारणीय है।
बहुत समय पहले इसी विषय पर मैंने एक लघुकथा लिखी थी मेरे उम्मीद है आप अवश्य पढ़ेगी 🙏
https://www.xn--l1ba6gbho1grdq1k.com/2021/02/blog-post_28.html?m=0
सादर नमस्कार दी।
हटाएंबहुत कोशिश की लघुकथा का लिंक बनाने की परंतु ठीक से नहीं बना।
आपका ईमेल मिलते ही भेजती हूँ।
लघुकथा का शीर्षक है 'हाँ डायन होती हैं'
बहुत धन्यवाद अनीता जी। आपका लिंक खुल नहीं रहा मैं पढ़ना चाहती हूँ ।
जवाब देंहटाएंदिल को छू जाने वाला लेख
जवाब देंहटाएंधन्यवाद मनोज जी !
हटाएंउषा जी , आपका ये लेख पढ़कर बहुत कुछ जाना |नारी उत्पीड़न की चर्चाओं के बीच पीड़ित पुरुषों की पीड़ा अनदेखी और अनसुनी रह जाती है |मुझे लगता है स्वछन्द कन्याओं की एकऐसी जमात तैयार हो रही है जिसमें संस्कार रत्ती भर भी नहीं | उद्दंडता और कपट अलग से है | पति को पाकर जो उसके बैंक बैलंस पर कुंडली मारकर बैठ जाती है और जिसने उसे तंगी सहकर - समर्पण कर शिखर तक पहुंचाया उसके उसी परिवार को देखना भी नहीं चाहती | उसके घर में सब लोगों का प्रवेश वर्जित है सिवाय अपने परिवार के |इसकी दोषी पिछली पीढ़ी भी है जिसने इन लोगों को पैरों पर खड़ा करने की धुन में अपने बड़ों और रिश्ते-नातेदारों से दूरी बना उन्हें अकेले रहने का चलन सिखाया है | तभी ये पीढ़ी वृद्धाश्रम में दिन काट रही है | बहुएं संस्कारी चाहियें पर अपनी बेटियों को उचित संस्कार देने में असफल रहते लोग समाज का परम्परागत ढाँचा ध्वस्त करने पर तुले हैं |मेरे आसपास भी बहुत सी घटनाएं ऐसी हुई जिनमें शालीन और शिष्ट लोग खलनायक बनकर बदनाम हुए और लड़कियां तलाक के नाम मोटी रकम बटोर कर मौज मना रही |एक विचारोत्तेजक लेख के लिए आभार |
जवाब देंहटाएंधन्यवाद रेणु जी, आपकी बात से पूर्णतः सहमत हूँ । देरी से प्रतिक्रिया देने के लिए क्षमा कीजिएगा।
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