कलकत्ता जाने पर हम लोगों ने जब दो दिन के लिए शान्तिनिकेतन जाने का प्रोग्राम बनाया तो कुछ लोगों ने कहा कि शांति निकेतन और बंगाली माहौल को देखना है तो आपको सोनाझुरी हाट जरूर देखना चाहिए। सोनाझुरी हाट के नाम से प्रसिद्ध यह हाट हर शनिवार को खोई नदी के तट पर लगती है। शनिवार को ही हम लोग शान्ति निकेतन पहुँचे थे तो खाने के बाद आराम करके शाम को हाट के लिए निकल लिए। यह एक खुला बाजार है जहां हम आदिवासी वस्तुओं और कई अन्य सामान खरीद सकते हैं। इसमें ग्रामीण इलाकों से आर्टिस्ट आते हैं और अपने हाथों से बनाए सामान बेचने के लिए लाते हैं । यहाँ आदिवासियों द्वारा बनाई बहुत सुन्दर पेटिंग्स भी बहुत कम दाम पर बिकने के लिए आई हुई थीं। हमने भी कॉपर के तारों से बनी दुर्गा जी व गणेश जी की दो छोटी पेंटिंग खरीदी। कान्था कढ़ाई की सा़ड़ियाँ भी बिकती देख एक हमने भी खरीद ली।
कुछ संथाल जनजाति के लोग समूह में गाते हुए डांस कर रहे थे तथा कुछ स्थानीय बाउलों द्वारा गाए जाने वाले अद्भुत गान को सुन कर मैं मुग्ध होकर थम गई। पैरों को जैसे किसी ने जकड़ लिया हो। मन आनन्दमिश्रित करुणा से भीग गया। कैसी साधना होगी इस गायन के पीछे लेकिन एक कपड़ा बिछा कर जिस पर चन्द सिक्के व रुपये पड़े थे हरेक आने- जाने वालों पर गाते हुए आशा भरी करुण दृष्टि डालने वाले ये कलाकार कितनी बदहाली में जीते होंगे। देश - विदेश में जब भी मैं किसी को गा बजाकर भीख माँगते देखती हूँ तो मेरा कलेजा मुँह को आता है।बहुत ही कष्ट होता है लगता है काश…..!
बाउल के गीत अक्सर मनुष्य एवं उसके भीतर बसे इष्टदेव के बीच प्रेम से संबंधित होते हैं।बाउल, बंगाल की तरफ लोकगीत गाने वालों का एक ग्रुप होता है। ये बाउल धार्मिक रीति रिवाजों के साथ गीतों का ऐसा सामंजस्य बिठाते है की ये लोकगीत सुनने लायक होते है। इस समुदाय के ज्यादातर लोग या तो हिन्दू वैष्णव समुदाय से ताल्लुक रखते हैं या फिर मुस्लिम सूफ़ी समुदाय से। कहा जाता है कि संगीत ही बाउल समुदाय के लोगों का धर्म है। उन्हें अक्सर उनके विशिष्ट कपड़ों और संगीत वाद्ययंत्रों से पहचाना जा सकता है। बाउल संगीत का रवींद्रनाथ टैगोर की कविता और उनके संगीत (रवींद्र संगीत) पर बहुत प्रभाव था।
ऐसा भी कहते हैं कि बाउल संगीत का मुख्य उद्देश्य अलग अलग जाति, समुदाय धर्म के लोगों को एक कर संगीत के द्वारा उनमें एकता का संचार करना है।ये गायक भगवा वस्त्र धारण किये हुए होते हैं। इनके बाल बड़े होते हैं जिन्हें ये खुले रखते हैं या जूड़ा बांधते हैं। ये लोक गायक हमेशा तुलसी की माला और हाथों में इकतारा लिए हुए होते हैं। इन लोगों का मुख्य व्यवसाय भी संगीत है, ये एक स्थान से दूसरे स्थान घूम घूम के लोक गीत गाते हैं और उससे प्राप्त पैसों से गुज़र बसर करते हैं। केंडुली मेले के ही दौरान ये सभी लोग अपनी भूमि पर जमा होते हैं और बड़े ही हर्ष और उल्लास के साथ अपना ये खूबसूरत पर्व मनाते हैं।
बाउल के दो वर्ग हैं: तपस्वी बाउल जो पारिवारिक जीवन को अस्वीकार करते हैं और बाउल जो अपने परिवारों के साथ रहते हैं। तपस्वी बाउल पारिवारिक जीवन और समाज का त्याग करते हैं और भिक्षा पर जीवित रहते हैं। उनका कोई पक्का ठिकाना नहीं है, वे एक अखाड़े से दूसरे अखाड़े में चले जाते हैं ।
सेनाझुरी हाट का सबसे बड़ा हासिल था बाउल गान से प्रेम, जो आज भी आँखें बन्द करते ही मेरे कानों में गूँजने लगता है। और इस प्रेम के चलते अब तक तो मैं यूट्यूब पर ढूँढ कर न जाने कितने बाउल गीत सुन चुकी हूँ ।
— उषा किरण 🌿🍂🍃🎋