स्वीकार
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धरा, आकाश, जल,पवन को
हाजिर- नाजिर मान
ऐलान करती हूँ आज
जाओ माफ किया…मुक्त किया तुम्हें…!
ताउम्र उलझती, झगड़ती रही
तोहमतें लगाईं…कलपती रही कि-
बोलो जरा
तुम्हारी मर्जी बिना जब
हिल सकता नहीं पत्ता भी तो
भला मेरी क्या बिसात
फिर मेरे किए मेरे कैसे
सब तेरे…सब तेरे…!
फिर क्यूँ प्रारब्ध के चक्रवात में फंसी
जन्म जन्मान्तर से अनवरत भटक रही
मेरा क्या है मुझमें जो भुगत रही हूँ
थक गई हूँ अब और नहीं लड़ सकती
प्राण-शक्ति शिथिल और
दृष्टि धुँधला रही है
दूर क्षितिज पर टिमटिमाती मद्धिम लौ
धीरे-धीरे निकट आ रही है
पद भ्रमित हैं, मन विकल
ढलती जाती है साँझ
श्वास अवरुद्ध है और कण्ठ शुष्क
हे प्रिय, बहुत हुआ.. बस
स्वीकार करो मेरा सर्वस्व
अब तो खोलो कारा…अंगीकार करो
उड़ने दो उन्मुक्त मेरे राजहंस को
हाथ बढ़ाओ…समा लो अब
अपनी निस्सीम बाहों में कि
भटकती यात्रा को मंजिल मिले
और बेचैन रूह सुकून पाए…!!!
— उषा किरण
थक गई हूँ अब और नहीं लड़ सकती
जवाब देंहटाएंप्राण-शक्ति शिथिल और
दृष्टि धुँधला रही है
दूर क्षितिज पर टिमटिमाती मद्धिम लौ
धीरे-धीरे निकट आ रही है
ओह! हृदय स्पर्शी सृजन उषा जी, शब्द शब्द पर रुह में सिहरन सी हो रही है नमन है आपकी लेखनी को 🙏
हार्दिक आभार कामिनी जी आपकी सराहना मेरा उत्साह बढा़ रही है🙏😊
हटाएंहार्दिक आभार आपका😊
जवाब देंहटाएंसही सुनाया है इश्वर को. सब खुद करता है फिर सजा हमको. प्रभावी रचना
जवाब देंहटाएंयही लगता है कभी-कभी!
हटाएंबहुत ही मर्मान्तक सृजन उषा जी | कई बार नहीं अनेक बार यही प्रश्न उठाता है व्यथित अंतर्मन | आखिर कब तक कठपुतली बन सहता रहे कोई |अपनी ही रची हस्ती पर फिर व्यर्थ का दोषारोपण करने का र्सियिता को कोई अधिकार क्यों हो , जब सब किया-धरा स्वयं उसी का है कभी तो प्राणों के राजहंस को उन्मुक्त उड़ान की चाहत हो . उसे भी उड़ने को खुला अम्बर नसीब हो | रचना के शब्द-शब्द में मानों व्यथित मन की आर्तता झझकोर रही|
जवाब देंहटाएंहार्दिक आभार आपका😊🙏
हटाएंतुम्हारी मर्जी बिना जब
जवाब देंहटाएंहिल सकता नहीं पत्ता भी तो
भला मेरी क्या बिसात
फिर मेरे किए मेरे कैसे
सब तेरे…सब तेरे…!
फिर क्यूँ प्रारब्ध के चक्रवात में फंसी
जन्म जन्मान्तर से अनवरत भटक रही
मेरा क्या है मुझमें जो भुगत रही हूँ
बहुत सटीक...
सच में अच्छे भले आस्तिक इंसानों को भी कष्टपूर्व जीवन जीते देख हर वक्त ये प्रारब्ध सुनकर और सोचकर यही सवाल उठता है में...परंतु भगवान तक हमारी शिकायत पहुँचती कहाँ है।
हार्दिक आभार सुधा जी 😊🙏
हटाएं🙏🏼🙏🏼🙏🏼🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🙏🏼🙏🏼🙏🏼
जवाब देंहटाएंहृदय स्पर्शी सृजन ...बहुत दिनों बाद आपके ब्लॉग पर आना हुआ
जवाब देंहटाएंदिल से धन्यवाद
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