'दर्द का चंदन' दर्द का वह पिटारा है जिसे लिखना सबके वश की बात नहीं। यह वही लिख सकता है जिसने न सिर्फ दर्द को सहा हो, बल्कि दूसरों के दर्द को उतनी ही गहराई से महसूस भी किया हो। सहने के साथ दूसरों के दर्द को महसूस करना तो बड़ी बात है ही, इतने विस्तार से कागज पर पंक्तिबद्ध कर देना और भी बड़ी बात है। जब इतने कशमकश के बाद इस दर्द ने उपन्यास का रूप पाया तो फिर इसका दूसरा नाम कैसे होता? वह 'दर्द का चंदन' ही होता। हमने भी न सिर्फ इस चंदन को पढ़ा बल्कि दर्द के साथ इसकी खुशबू को महसूस भी किया।
यह आत्मकथा कई मामलों में उपयोगी है। यह आपदा में संघर्ष करना तो सिखाता ही है, कैंसर जैसी महामारी से लड़ने के प्रारम्भिक उपचार भी सिखाता है। आर्थिक रूप से विकलांग लोगों के लिए तो कैंसर का नाम ही महाकाल है लेकिन जो लेखिका की तरह आर्थिक रूप से समर्थ हैं, उनके लिए भी कैंसर शब्द डरावना है। पिताजी, भइया और खुद भी बीमारी से गम्भीर रूप से पीड़ित होने, पिताजी और भइया को एक-एक कर खोने के बाद खुद भी इस बीमारी से पीड़ित होकर, हाहाकारी अवस्था से संघर्ष करते हुए पूरी तरह ठीक हो जाना एक चमत्कार से कम नहीं है। लेखिका आर्थिक मामलों के साथ इस मामले में भी भाग्यशाली रहीं कि न केवल पिताजी, भाई-बहन का भरपूर प्यार मिला बल्कि हर दुःख की घड़ी में पूरा साथ देने वाला जीवन साथी भी मिला। इससे एक बात समझ में आती है कि आर्थिक मजबूती तो जरूरी है ही, अपनों का भरपूर साथ भी उतना ही जरूरी है।
रोचकता बढ़ाने के लिए खुद की बीमारी के ठीक होने की सूचना अंत पृष्ठों तक समेटी जा सकती थी और संस्मरण बीच में रखे जा सकते थे लेकिन डॉ उषा जी के मन ने जैसा लिखवाया लिखती चली गईं, पुस्तक में बुनावट के अलावा कोई बनावट नहीं दिखी। दूसरी बात यह कि अंग्रेजी के शब्दों की हिंदी में स्वीकार्यता के नाम पर उन शब्दों को भी ज्यों का त्यों रख दिया गया है जो आज एक पढ़े लिखे समृद्ध परिवारों की आम बोल चाल की भाषा बन चुकी है, अंग्रेजी न समझने वाले पाठकों के लिए इन्हें समझना थोड़ा कठिन होगा। कुछ अंश तक इससे बचा जा सकता था।
कुल मिलाकर यह उपन्यास कैंसर जैसी भयंकर बीमारी से लड़ने के लिए हमें जरूरी सूत्र देता है। इसे पढ़ने के लिए लोगों को प्रेरित किया जाना चाहिए ताकि वे भी सीख सकें कि मुश्किल वक्त में कैसे पूरे परिवार को साथ लेकर चलते हुए इस महामारी पर विजय पाई जा सकती है। मैं इस पुस्तक के लिए डॉ उषा किरण जी को बधाई एवं दीर्घ स्वस्थ्य जीवन की शुभकामनाएँ तो देता ही हूँ साथ ही जाने/अनजाने अपने अनुभव बांट कर उन्होंने बहुतों की जो मदद करी उसके लिए अपना आभार भी प्रकट करता हूँ।
....@देवेन्द्र पाण्डेय।
बढ़िया समीक्षा
जवाब देंहटाएंबधाई
हार्दिक आभार विभा जी
हटाएंहार्दिक आभार रवींद्र जी😊
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