जो गुजर जाते हैं
वे तो एक दिन गुजरते हैं
पर जिनके गुजरते हैं
उन पर तो रोज गुजरती है
वे जाते कहाँ हैं
वे तो बस, बस जाते हैं
हमारी यादों में
नीदों में, बातों में
हर छोटी-छोटी चीजों में
वे पलट कर नहीं आते
पर उनके अक्स पलटते हैं
हमारे बच्चों में
नाती-पोतों में
उनकी हंसी में
उनकी बातों और आदतों में
वे याद करते नहीं
पर वे हमेशा याद आते हैं
हर सुख में, हर दुख में
शादी-ब्याह, रीति-रिवाजों में
तीज त्यौहारों की
चहल-पहल में
वे नहीं देखते पलट कर
पर हम जरूर पलट कर
एक दिन दिखने लगते हैं
बिल्कुल उनके जैसे
बच्चे कहते हैं-
एकदम नानी जैसी हो गई हो
या आप हो गए हो बाबा जैसे
जो गुजर जाते हैं
वे कहाँ गुजरते हैं
गुजरते तो हम हैं
खुशबुओं से लिपटी
उनकी यादों की गली से
जाने कितनी बार…बार-बार…!!
—उषा किरण 🍁🍂🌿🌱
सच में जो गुज़र जाते है वो तो बस गुजरते ही हैं लेकिन जो उनके अपनों पर गुजरती है उसका क्या ?
जवाब देंहटाएंअंतिम पँक्तियाँ मन को छू गयीं । उनकी खुश्बुओं से लिपटी यादों की गली से ....बहुत खूबसूरत एहसास ।🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹💐💐💐💐💐💐💐💐
बहुत शुक्रिया संगीता जी…🥰😍
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना सोमवार 21 जून 2021 को साझा की गई है ,
जवाब देंहटाएंपांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
सादर
धन्यवाद।संगीता स्वरूप
संगीता जी मेरी रचना का चयन करने के लिए आभार !
हटाएंजी नमस्ते ,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा आज रविवार (२१-0६-२०२१) को 'कुछ नई बाते नये जमाने की सिखाना भी सीख'(चर्चा अंक- ४१०२) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है।
सादर
बहुत आभार मेरी रचना का चयन करने के विए🙏
हटाएंकृपया रविवार को सोमवार पढ़े।
जवाब देंहटाएंसादर
अनीता जी बहुत आभार आपका😊
हटाएंएकदम नानी जैसी हो गई हो
जवाब देंहटाएंया आप हो गए हो बाबा जैसे
बिल्कुल सही कहा आपने,हम होते ही है माँ-पापा की परछाई से,दिल को गहरे छूते भाव,लाजबाब सृजन,सादर नमन उषा जी
बहुत आभार कामिनी जी...🙏
जवाब देंहटाएंवे जाते कहाँ हैं
जवाब देंहटाएंवे तो बस, बस जाते हैं
हमारी यादों में
नीदों में, बातों में
हर छोटी-छोटी चीजों में
बिलकुल सत्य कहा आपने..उनके यादें हर दम हमारे मनमस्तिष्क में स्थायी रहती है ।
धन्यवाद 🙏
हटाएंठीक कहा आपने उषा किरण जी।
जवाब देंहटाएंआभार 🙏
हटाएंबहुत सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंधन्यवाद 🙏
हटाएंवे जाते कहाँ हैं
जवाब देंहटाएंवे तो बस, बस जाते हैं
हमारी यादों में
नीदों में, बातों में
हर छोटी-छोटी चीजों में
बहुत सुंदर और सटीक लिखा है
बहुत आभार 🙏
हटाएंसुंदर सृजन
जवाब देंहटाएंबहुत आभार 🙏
हटाएंजो गुजर जाते हैं
जवाब देंहटाएंवे कहाँ गुजरते हैं
गुजरते तो हम हैं
खुशबुओं से लिपटी
उनकी यादों की गली से
जाने कितनी बार…बार-बार…!!
बहुत सुंदर भावपूर्ण रचना उषा किरण जी 🙏
शुक्रिया 🙏
हटाएंएहसासों से सिंचित हृदय स्पर्शी सृजन।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर गहन।
बहुत आभार 🙏
हटाएंजो गुजर जाते हैं
जवाब देंहटाएंवे कहाँ गुजरते हैं
गुजरते तो हम हैं
खुशबुओं से लिपटी
उनकी यादों की गली से
जाने कितनी बार…बार-बार
सच कहा आपने गुजरती तो गुजरने वालों के अपनों पर है..
बहुत ही भावपूर्ण एवं हृदयस्पर्शी सृजन।
बहुत धन्यवाद सुधा जी🙏
जवाब देंहटाएंउषा जी,पहले तो विलम्ब से आने के लिए क्षमाप्रार्थी हूं,थोड़ा पारिवारिक व्यस्तता थी।आदरणीय संगीता दीदी ने अंक ही इतना सुंदर सजाया था, कि सब जगह पहुंचने को मन आतुर था । आप की रचना एक सुंदर अहसास को जागृत कर गई । हर पंक्ति में सुंदर यादें आज के परिदृष्य से जुड़ती रहीं। बेहतरीन कृति।
जवाब देंहटाएंदेर कहाँ जिज्ञासा जी…आपने इतने मनोयोग से पढ़ी ये क्या कम है …🌹
जवाब देंहटाएंकहाँ कहाँ से गुजर गया .... बेहद भावपूर्ण रचना
जवाब देंहटाएंबहुत धन्यवाद शिखा
हटाएंहृदय स्पर्शी रचना !!शब्दों का अति सुन्दर प्रयोग !!
जवाब देंहटाएंआभार अनुपमा जी
जवाब देंहटाएंसच है की जो जाता है वो लौटता है किसी न किसी रूप में ... किसी न किसी याद में और इंसान बस सोचता है वजह ... बहुत भावपूर्ण रचना ...
जवाब देंहटाएंबहुत आभार आपका😊
हटाएंवे नहीं गुजरते... छूट जाते हैं आसपास ही कहीं!
जवाब देंहटाएंबेहतरीन!
शुक्रिया वाणी जी🌹
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