ताना बाना

मन की उधेड़बुन से उभरे विचारों को जब शब्द मिले

तो कुछ सिलवटें खुल गईं और कविता में ढल गईं

और जब शब्दों से भी मन भटका

तो रेखाएं उभरीं और

रेखांकन में ढल गईं...

इन्हीं दोनों की जुगलबन्दी से बना है ये

ताना- बाना

यहां मैं और मेरा समय

साथ-साथ बहते हैं

सोमवार, 14 जून 2021

यूँ भी

 



किसी के पूछे जाने की

किसी के चाहे जाने की 

किसी के कद्र किए जाने की

चाह में औरतें प्राय: 

मरी जा रही हैं

किचिन में, आँगन में, दालानों में

बिसूरते हुए

कलप कर कहती हैं-

मर ही जाऊँ तो अच्छा है 

देखना एक दिन मर जाऊँगी 

तब कद्र करोगे

देखना मर जाऊँगी एक दिन

तब पता चलेगा

देखना एक दिन...

दिल करता है बिसूरती हुई

उन औरतों को उठा कर गले से लगा 

खूब प्यार करूँ और कहूँ 

कि क्या फर्क पड़ने वाला है तब ?

तुम ही न होगी तो किसने, क्या कहा

किसने छाती कूटी या स्यापे किए

क्या फ़र्क़ पड़ने वाला है तुम्हें ?

कोई पूछे न पूछे तुम पूछो न खुद को 

उठो न एक बार मरने से पहले

कम से कम उठ कर जी भर कर 

जी तो लो पहले 

सीने पर कान रख अपने 

धड़कनों की सुरीली सरगम तो सुनो

शीशें में देखो अपनी आँखों के रंग

बुनो न अपने लिए एक सतरंगी वितान

और पहन कर झूमो

स्वर्ग बनाने की कूवत रखने वाले 

अपने हाथों को चूम लो

रचो न अपना फलक, अपना धनक आप

सहला दो अपने पैरों की थकान को 

एक बार झूम कर बारिशों में 

जम कर थिरक तो लो

वर्ना मरने का क्या है

यूँ भी-

`रहने को सदा दहर में आता नहीं कोई !’

                                             —उषा किरण🍂🌿

पेंटिंग; सुप्रसिद्ध आर्टिस्ट प्रणाम सिंह की वॉल से साभार 🎨

17 टिप्‍पणियां:

  1. "कोई पूछे न पूछे तुम पूछो न खुद को

    उठो न एक बार मरने से पहले

    कम से कम उठ कर जी भर कर

    जी तो लो पहले "

    क्या बात कही है आपने उषा जी ,दिल खुश हो गया। जब हम खुद को ही नहीं पूछेगा तो हमें कौन पूछेगा। यही गलतियां तो हमेशा से हम औरते करती आयी है।
    लाजबाब अभिव्यक्ति ,सादर नमन आपको

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  2. कामिनी जी बहुत आभार आपका 😊🙏

    जवाब देंहटाएं
  3. सच है आपकी बात और आपका नज़रिया उषा जी। आपने औरतों के लिए कहा है लेकिन यह सभी पर लागू है।

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    उत्तर
    1. बिल्कुल सही कहा आपने…मेरा तो ये ध्यान ही नहीं गया कि ये सभी के लिए है…शुक्रिया 🙏

      हटाएं
  4. सटीक बात । अक्सर स्त्रियां ही झुंझला कर कह बैठती हैं कि मर ही जाएँ तो अच्छा । बिल्कुल सच्ची अभिव्यक्ति लिखी है और अंतिम पंक्ति तो बस क्या कहें .....यूँ भी ..... क्या बात । बहुत खूब
    भावप्रवण सृजन । प

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  5. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" बुधवार 23 जून 2021 को साझा की गयी है.............. पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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  6. तुम ही न होगी तो किसने, क्या कहा

    किसने छाती कूटी या स्यापे किए

    क्या फ़र्क़ पड़ने वाला है तुम्हें ?

    कोई पूछे न पूछे तुम पूछो न खुद को

    उठो न एक बार मरने से पहले

    कम से कम उठ कर जी भर कर

    जी तो लो पहले ----बहुत ही अच्छी रचना है, भावों को गहनता से मंथा है आपने। खूब बधाई

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  7. बहुत बढियां औरत के मन को छुआ है

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