किसी के पूछे जाने की
किसी के चाहे जाने की
किसी के कद्र किए जाने की
चाह में औरतें प्राय:
मरी जा रही हैं
किचिन में, आँगन में, दालानों में
बिसूरते हुए
कलप कर कहती हैं-
मर ही जाऊँ तो अच्छा है
देखना एक दिन मर जाऊँगी
तब कद्र करोगे
देखना मर जाऊँगी एक दिन
तब पता चलेगा
देखना एक दिन...
दिल करता है बिसूरती हुई
उन औरतों को उठा कर गले से लगा
खूब प्यार करूँ और कहूँ
कि क्या फर्क पड़ने वाला है तब ?
तुम ही न होगी तो किसने, क्या कहा
किसने छाती कूटी या स्यापे किए
क्या फ़र्क़ पड़ने वाला है तुम्हें ?
कोई पूछे न पूछे तुम पूछो न खुद को
उठो न एक बार मरने से पहले
कम से कम उठ कर जी भर कर
जी तो लो पहले
सीने पर कान रख अपने
धड़कनों की सुरीली सरगम तो सुनो
शीशें में देखो अपनी आँखों के रंग
बुनो न अपने लिए एक सतरंगी वितान
और पहन कर झूमो
स्वर्ग बनाने की कूवत रखने वाले
अपने हाथों को चूम लो
रचो न अपना फलक, अपना धनक आप
सहला दो अपने पैरों की थकान को
एक बार झूम कर बारिशों में
जम कर थिरक तो लो
वर्ना मरने का क्या है
यूँ भी-
`रहने को सदा दहर में आता नहीं कोई !’
—उषा किरण🍂🌿
पेंटिंग; सुप्रसिद्ध आर्टिस्ट प्रणाम सिंह की वॉल से साभार 🎨
"कोई पूछे न पूछे तुम पूछो न खुद को
जवाब देंहटाएंउठो न एक बार मरने से पहले
कम से कम उठ कर जी भर कर
जी तो लो पहले "
क्या बात कही है आपने उषा जी ,दिल खुश हो गया। जब हम खुद को ही नहीं पूछेगा तो हमें कौन पूछेगा। यही गलतियां तो हमेशा से हम औरते करती आयी है।
लाजबाब अभिव्यक्ति ,सादर नमन आपको
कामिनी जी बहुत आभार आपका 😊🙏
जवाब देंहटाएंवाह।
जवाब देंहटाएंशुक्रिया
हटाएंसच है आपकी बात और आपका नज़रिया उषा जी। आपने औरतों के लिए कहा है लेकिन यह सभी पर लागू है।
जवाब देंहटाएंबिल्कुल सही कहा आपने…मेरा तो ये ध्यान ही नहीं गया कि ये सभी के लिए है…शुक्रिया 🙏
हटाएंबहुत बहुत सुन्दर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंबहुत धन्यवाद आलोक जी
हटाएंसटीक बात । अक्सर स्त्रियां ही झुंझला कर कह बैठती हैं कि मर ही जाएँ तो अच्छा । बिल्कुल सच्ची अभिव्यक्ति लिखी है और अंतिम पंक्ति तो बस क्या कहें .....यूँ भी ..... क्या बात । बहुत खूब
जवाब देंहटाएंभावप्रवण सृजन । प
बहुत आभार आपका संगीता जी
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जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" बुधवार 23 जून 2021 को साझा की गयी है.............. पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
तुम ही न होगी तो किसने, क्या कहा
जवाब देंहटाएंकिसने छाती कूटी या स्यापे किए
क्या फ़र्क़ पड़ने वाला है तुम्हें ?
कोई पूछे न पूछे तुम पूछो न खुद को
उठो न एक बार मरने से पहले
कम से कम उठ कर जी भर कर
जी तो लो पहले ----बहुत ही अच्छी रचना है, भावों को गहनता से मंथा है आपने। खूब बधाई
संदीप जी बहुत शुक्रिया
हटाएंबहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंबहुत शुक्रिया
हटाएंबहुत बढियां औरत के मन को छुआ है
जवाब देंहटाएंबहुत आभार आपका😊
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