ताना बाना

मन की उधेड़बुन से उभरे विचारों को जब शब्द मिले

तो कुछ सिलवटें खुल गईं और कविता में ढल गईं

और जब शब्दों से भी मन भटका

तो रेखाएं उभरीं और

रेखांकन में ढल गईं...

इन्हीं दोनों की जुगलबन्दी से बना है ये

ताना- बाना

यहां मैं और मेरा समय

साथ-साथ बहते हैं

शुक्रवार, 4 जून 2021

शुभ संकल्प

 


इस कोरोना कहर का सबसे दुखद पहलू है कई बच्चों का अनाथ हो जाना। सरकारों के अपने प्रयास व उद्घोषणाएं हैं पर तसल्ली नहीं होती मन भड़भड़ाता रहता है। अनाथ हुए बच्चों को यदि उनके रिश्तेदार अपनाते हैं तो उनको चार हजार रुपये प्रति माह प्रदान किए जाएंगे।सुन कर कई रिश्तेदार आगे आए हैं,परन्तु निश्चित ही कई रुपयों के लालच में नहीं वैसे भी आगे आकर उन बच्चों को अपना रहे हैं ...जो भी हो परन्तु ये सबसे अच्छा विकल्प है क्योंकि बच्चे अपने ही परिचित परिवार के माहौल में परवरिश पाएंगे और बाकी रिश्तेदारों की भी निगरानी में रहेंगे। आपके किसी रिश्तेदार का कोई बच्चा यदि अनाथ हो गया है तो कृपया दिल बड़ा कर, बढ़ कर हाथ थाम लीजिए।

लेकिन बाकी जो नहीं अपनाए जाएंगे ऐसे बच्चों की भी संख्या हजारों में होगी ही।कितने ही निस्संतान दम्पत्तियों को मैंने ताउम्र ममता की भूख- प्यास से तड़पते व कलपते देखा है, परन्तु वे बच्चा गोद लेने में संकोच व कई तरह की उलझन महसूस करते हैं। यही वक्त है आगे आकर किसी एक बच्चे को गोद लें ।यकीन मानिए ये सिर्फ़ बच्चे के लिए ही नहीं उनके अपने लिए भी सुखद होगा।क्या पता किसी शुभ-मकसद के लिए ही उनका आँगन अब तक सूना रहा...जीवन में आई एक कमी किसी शुभ- संकल्प से, पावन मकसद में ढल जाए और उनके आँगन में व उस बच्चे के जीवन में भी रोशनी की किरणें बिखर जाएं।

आप बहुत से ऐसे लोगों को जानते होंगे कृपया उनको प्रेरित करे। कुछ लोगों के परिवार में उनके माँ- बाप या सास - ससुर नहीं तैयार होते तो उनको समझाएं। यकीन मानिए जिसे वो अपनाएंगे प्यार से, वो भी उनकी अपनी औलाद होगी।

सरकार की तरफ से भी गोद लेने की प्रक्रिया आसान करनी चाहिए । कभी एक ऐसे ही दम्पति को मैने मनाया कि वो किसी अनाथ बच्चे को गोद  लें, वे तैयार हुए पर गोद लेने की लम्बी व जटिल प्रक्रिया से ऊब कर जल्दबाजी में अपने ही रिश्तेदार के बच्चे को गोद ले लिया जिससे बड़ी मूर्खता मुझे दूसरी नज़र नहीं आती क्योंकि जिसके पास जो आँचल है उसकी वो छाँव छीन कर अपनी आँचल की छाँव देकर वे कई तरह की परेशानियों को प्राय: फेस करते हैं। हो सकता है वो बच्चा ही उनको बड़ा होकर कटघरे में खड़ा कर दे किसी दिन।

कृपया आपके जो भी ऐसे निस्संतान परिचित हों उनको प्रेरित जरूर करें। ये संकल्प तो महानतम शुभ-संकल्प की श्रेणी में आता है ।

तो उठिए किसी एक भी शिशु के आँसू पोंछ सकें तो जीवन धन्य हो जाएगा यकीन करें आपके जीवन में नई ख़ुशियाँ बिखर जाएंगी 🙏

9 टिप्‍पणियां:

  1. बिल्कुल सही। मैंने विदेशियों के भारत से अनाथ बच्चों को गोद लेने की अनेक घटनाएँ पढ़ी हैं, यू ट्यूब में भी देखी हैं। भारतीयों में तो निसंतान दंपति पचास साल के होने तक भी लाखों रुपए इलाज मे खर्च करते रहेंगे 'अपना बच्चा' पा लेने की कोशिश में। यह मानसिकता बदलने में समय लगेगा परंतु इस विषय पर लोगों को समझाने और कौंसिलिंग करने की भी बहुत जरूरत है।

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    1. मीना जी सही कहा आपने,रिश्तेदारी से गोद ले लेंगे पर अनाथ बच्चे को गोद नहीं ले सकते ...काश लोगों की सोच बदले ।

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  2. "शुभ संदेश " समय के बदलाव के लिए और मानवता को जिन्दा रखने के लिए इससे बेहतर संकल्प ही ही नहीं सकता ,मीना जी की बातों से सहमत,बहुत से लोग जटिल प्रक्रिया के कारण गोद नहीं ले पाते ,इस सार्थक संदेश को देने के लिए साधुवाद ,सादर नमन आपको

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  3. आपने बहुत अच्छा प्रश्न उठाया ।काश प्रारम्भ में दिखने वाली मानवता अंत तक कम न हो ।

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    1. इम्मीद ही कर सकते हैं आलोक जी ...शुक्रिया ।

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