बरसों से दर्द पाले,
दुखते दाँत को-
पहले बेहोश किया उसने
फिर नुकीले नश्तरों से
विदीर्ण कर दीं
सारी रूट्स,
अब दाँत डैड था
दर्द का नामो निशान नहीं !
फिर बारी थी आवरण की,
उसने ठोक-पीट कर
एक नकली आवरण
चढ़ा दिया है
हुबहू ...
वही रंग, वही रूप
अब खुश हूँ मैं-
अपने डैड दाँत के साथ
दर्द से मुक्त ,
सारे स्वादों के आनन्द में
मगन !
......
कमाल है ,
एक छोटे से दाँत ने सिखा दिया
बरसों से पाले दर्दों से
मुक्ति का रास्ता....!
- उषा किरण
एक नकली आवरण... वाकई दर्दों से मुक्ति का रास्ता सिखा दिया।
जवाब देंहटाएंदाँत के दर्द से
जवाब देंहटाएंनिज़ात पाने के लिए
कराया था रुट- कैनाल
नहीं समझ थी मुझे कि
इस मृत दाँत पर भी
एक आवरण ज़रूरी है ।
दर्द से मुक्त
हर स्वाद का
लेते हुए आनंद
सूखे वृक्ष की टहनी सा
टूट गया था वो दाँत एक दिन ।
अब समझी हूँ कि
हर दर्द से ,
निज़ात पाने के लिए
बाह्य आवरण भी
ज़रूरी है ।
एक ख्याल ऐसा भी ।
बहुत खूब संगीता जी आभार आपका🙏...बहुत खूब लिखा आपने😍
हटाएंब्लॉग बुलेटिन की दिनांक 14/05/2019 की बुलेटिन, " भई, ईमेल चेक लियो - ब्लॉग बुलेटिन “ , में आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
जवाब देंहटाएंमेरी कविता को शामिल करने के लिए आभार आपका🙏
हटाएंदर्द के उपर चढ़ा दिया खुशियों का खोल जैसे
जवाब देंहटाएंदाँत के दर्द का रूपक अच्छा बन पड़ा .
बहुत धन्यवाद वाणी जी😍
हटाएंइतना जो मुस्करा रहे हो क्या दर्द है जो छुपा रहे हो..... दर्द से छुटकारा पाने के लिए रूट कनाल का रूपक अच्छा बना है... हम अक्सर ही कोई कोई मुल्लमा चढा ही देते हैं और चमकते हुए निकलते हैं...चमक के नीचे क्या है शायद ही कोई जान पाए...
जवाब देंहटाएंसही कहा आपने...आभार 🙏
जवाब देंहटाएंकमाल की अभिव्यक्ति ... शानदार
जवाब देंहटाएंधन्यवाद आपका!
हटाएंआज मैं आपके ब्लॉग पर आया और ब्लोगिंग के माध्यम से आपको पढने का अवसर मिला
जवाब देंहटाएंख़ुशी हुई.