आज मैंने पीछे दरवाजे के पास लॉन में
त्रिभंग मुद्रा में खड़े प्यारे दोस्त आम के पेड़ से
लता की तरह लिपट कर विदा ली
उसके गिर्द अपनी बाहें लपेट कर
कान में फुसफुसा कर कहा
अब तो जाना ही होगा
विदा दोस्त...!
तुम सदा शामिल रहे
मेरी जगमगाती दीवाली में
होली की रंगबिरंगी फुहारों में
मेरे हर पर्व और त्योहारों में
और साक्षी रहे
उन अंधेरी अवसाद में डूबी रातों के भी
डूबते दिल को सहेजती
जब रो पड़ती तुमसे लिपट कर
तुम अपने सब्ज हाथों से सिर सहला देते
पापा की कमजोर कलाई और
डूबती साँसों को टटोलती हताशा से जब
डबडबाई आँखों से बाहर खड़े तुमको देखती
तो हमेशा सिर हिला कर आश्वस्त करते
तुम साक्षी रहे बरसों आँखों से बरसती बारिशों के
तो मन की उमंगों के भी
तुम कितना झूम कर मुस्कुरा रहे थे जब
मेरे आँगन शहनाई की धुन लहरा रही थी
ढोलक की थापों पर तुम भी
बाहर से ही झाँक कर ताली बजा रहे थे
कोयल के स्वर में कूक कर मंगल गा रहे थे
पापा के जाने के बाद तुम थे न
पीली-पीली दुआओं सी बौरों से
आँगन भर देते और
अपने मीठे फलों से झोली भर असीसते थे…!
मैं जरूर आऊँगी कभी-कभी मिलने तुमसे
एक पेड़ मात्र तो नहीं हो तुम मेरे लिए
कोई जाने न जाने पर तुम तो जानते हो न
कि क्या हो तुम मेरे लिए…!
अपनी दुआओं में याद रखना मुझे
आज विदा लेती हूँ दोस्त
फ़िलहाल…अलविदा...!!!
— उषा किरण
आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज बुधवार 01 सितम्बर 2021 शाम 3.00 बजे साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंयशोदा जी , मेरी रजना को शामिल करने का बहुत शुक्रिया 🙏
हटाएंसुन्दर भाव
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर भावपूर्ण रचना
जवाब देंहटाएंआपका हृदय से धन्यवाद
हटाएंतुम कितना झूम कर मुस्कुरा रहे थे जब
जवाब देंहटाएंमेरे आँगन शहनाई की धुन लहरा रही थी
ढोलक की थापों पर तुम भी
बाहर से ही झाँक कर ताली बजा रहे थे
कोयल के स्वर में कूक कर मंगल गा रहे थे
बहुत सुंदर....एक मूक दोश्त की बोलती दस्ता। आपने मुझे भी अपने बिछड़े दोस्त की याद दिला दी। 20 वर्ष हो गए बिछड़े... सुनती हूँ आज भी वैसा ही है...
दिल को छू गयी आपकी रचना,सादर नमन उषा जी
मिल आइए अपने दोस्त से । वो इंतजार करता होगा, जरूर याद करता होगा।
हटाएंअत्यंत भाव प्रवण और मार्मिक।
जवाब देंहटाएंबहुत आभार
हटाएंबहुत भावपूर्ण रचना । एक संवेदनशील मन ही यह महसूस कर सकता । 👌👌👌👌
जवाब देंहटाएंसंगीता जी बहुत आभार आपका…आपके कमेन्ट की प्रतीक्षा रहती है😊
हटाएंसुन्दर भाव की मर्मस्पर्शी रचना
जवाब देंहटाएंधन्यवाद शिखा
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