ताना बाना

मन की उधेड़बुन से उभरे विचारों को जब शब्द मिले

तो कुछ सिलवटें खुल गईं और कविता में ढल गईं

और जब शब्दों से भी मन भटका

तो रेखाएं उभरीं और

रेखांकन में ढल गईं...

इन्हीं दोनों की जुगलबन्दी से बना है ये

ताना- बाना

यहां मैं और मेरा समय

साथ-साथ बहते हैं

स्वास्थय सबसे बड़ी नियामत लेबल वाली कोई पोस्ट नहीं. सभी पोस्ट दिखाएं
स्वास्थय सबसे बड़ी नियामत लेबल वाली कोई पोस्ट नहीं. सभी पोस्ट दिखाएं

कीमत ( लघुकथा)

हरे धनिए का डिब्बा खोला तो देखा काफी सड़ा पड़ा था। मेरी त्योरियाँ चढ़ गईं। कल ही तो आया था, गुड्डू से कहा था, जा भागकर एक गड्डी हरा धनिया ले...