"मैं सोया और स्वप्न देखा
कि जीवन आनन्द है
मैं जागा और देखा कि
जीवन सेवा है
मैंने सेवा की
और पाया कि
सेवा आनंद है”
—रवीन्द्रनाथ टैगोर
चार दिन पहले मालविका का फोन आया तो बताने लगी कि वो जिस एन जी ओ "प्रगति “के साथ काम करती है उस स्कूल में जब टीचर ने ऑनलाइन क्लास लेते समय एक बच्ची को होमवर्क न करने पर डाँटा तो वो बोली मैडम तीन दिन से खाना नहीं खाया हमसे नहीं पढ़ा जा रहा । दरअसल प्रगति के तीनों ही स्कूलों में बहुत गरीब घरों के बच्चे पढ़ते हैं ।उन टीचर ने मालविका को बताया मालविका ने तुरन्त फोन नं० लेकर उसके फादर से बात की और घर में जितना भी राशन , मैगी के पैकिट, ब्रैड, दूध था सब थैलों में भरा ,आदी ने भी अपने चॉकलेट्स बिस्किट लाकर दिए ।सब खाने पीने का सामान गवीश के साथ ले जाकर उसके पापा को पास के मार्केट में बुला कर दे दिया ।उन्होंने बताया कि वो गाड़ी धोने का काम करते हैं पर आजकल न तो गाड़ी निकलतीं न ही धुलतीं हैं तो लोगों ने पैसे देने बन्द कर दिए,बहुत परेशानी है।मालविका ने बोर्ड के सभी मेंबर से बात की सबने मिल कर अरेंजमेन्ट किया । कुछ निर्णय लिए गए ...फंड्स का इंतजाम कर राशन के पैकिट्स बनवाए और सभी बच्चों के घर फोन करके उनके पेरेन्ट्स को स्कूल बुला कर राशन व स्टेशनरी देने की व्यवस्था सुरक्षित तरीके से करवाई। । वो बता रही थी कि राशन देते समय जब मैंने पूछा कि अब गाँव तो नहीं जाओगे तो सभी ने यही कहा कि खाने का इंतजाम तो हो गया पर मकान का किराया कहाँ से लाएंगे ।आपस में सभी बोर्ड मेंबर से सलाह कर फिर सभी के एकाउन्ट में चार- चार हजार रुपये भी डलवाए ।अब तीनों स्कूलों के लगभग 450 बच्चों और उनके परिवारों के चेहरों पर मुस्कान वापिस आ रही है अभी भी निरन्तर राशन बाँटा जा रहा है और बच्चे भी अब मन लगा कर होमवर्क पूरा करते हैं ।मुझे यह सब सुन कर बहुत तसल्ली , संतोष और खुशी मिली।
मालविका मुझे बता रही थी कि उस बच्ची के फादर जिस सोसायटी में कारें धोने का काम करते थे वहाँ काफी रिच फ़ैमिलीज रहती हैं जिनका शायद किसी होटल या रेस्टोरेन्ट का लन्च या डिनर का एक बार का या एक जोड़ी जूते का बिल जितना आता होगा उतने में उस बेचारे का पूरा परिवार महिने भर खाना खा सकता है पर इस आपदा काल में उनको यदि बिना काम किए पैसे दे देंगे तो उनको तो ऐसी कोई कमी नहीं आने वाली है पर ....दरअसल बात नीयत की है ।
आपकी इस लालच की वजह से उनका पूरा परिवार भूखा सोएगा ये क्यों नहीं दिखाई देता । आपकी तो ऐयाशी कुछ कम हो सकती है पर वो बेचारे तो भूखों मर जाएंगे।पुताई वाले, कबाड़ी वाले,रिक्शा ,ऑटो वाले, धोबियों,छोटी दुकानों वाले ,घरों में काम करने वाली बाइयों इन सबका क्या हाल होगा आप सोच कर देखिए।हम सबकी मदद नहीं कर सकते पर जो हमारे दायरे में है हम उतना तो कर ही सकते हैं ।
इस पोस्ट को लिखने का मकसद बस यही है कि मुझे लगता है कि किसी की भी अच्छी बातों और कामों को शेयर जरूर करना चाहिए होसकता है इससे कुछ और लोगों को भी कुछ अच्छा करने की प्रेरणा मिले ।
मेरी सभी से गुजारिश है दिल बड़ा रखिए अपने सहायकों को पूरा पेमेन्ट करिए हो सके तो कुछ एक्स्ट्रा देकर मदद करिए वर्ना भूखे पेट वो अपने देस-गाँवों को लौटेंगे या यहीं कैसे जिन्दा बचेंगे।हो सकता है वो लौटें ही नहीं तब? कैसी होगी आपकी जिंदगी इन सबके बिना...जरा सोचिए।
आपदा- काल है ,गरीबों के लिए ये समय काल बन कर आया है ।यथासंभव इनकी मदद करिए जहाँ- जहाँ जितनी हो सके ।यकीन मानिए मंदिरों ,तीर्थों , पूजा,अनुष्ठानों से आप जितना पुण्य कमाएंगे उससे दस गुना ज्यादा इस संकट की घड़ी में उनकी मदद करके कमाएंगे, भूखों का पेट भरके कमाएंगे ।नर में ही नारायण को देखिए ।
ये सच है कि कोई भी नेकी की राह आसान नहीं होती ।बहुत रुकावटें आती हैं । जब आप शुभ संकल्प लेते हैं तो कुछ लोग नकारात्मकता भी फैलाते हैं ऐसे वक्त पर ...लेकिन यदि आप उजले मन से नेकी के रास्ते पर आगे बढ़ते हैं तो राहें खुद आसान हो जाती हैं । कभी कहीं पढी पंक्तियाँ कुछ-कुछ याद आ रही हैं...
"साफ है मन यदि
राह है सच्चाई की
तो प्रार्थना के बिना भी
प्रसन्न होंगे देवता....!!” 🙏
#फोटो_प्रगति_में_राशन_वितरण