नहीं ...आज तो नहीं है मेरा वैलेंटाइन डे
लेकिन...
मेरे हाथों में मेंहदी लगी देख तुमने
समेट दिए थे चाय के कप जिस दिन
बुखार से तपते माथे पर रखीं
ठंडी पट्टियाँ जब
ठसका लगने पर पानी दे
पीठ सहलाई जब
जानते हो मुझे मंडी जाना नहीं पसंद तो
फ्रिज में लाकर सहेज दिए
फल- सब्ज़ियाँ जब
ठंड से नीली पड़ी उंगलियों को
थाम कर गर्म हथेली में
फूँकों से गर्मी दी जिस दिन
या परेशान देख पिन लगा दिया साड़ी में जब
बदल दिया बच्चों का गीला नैपकिन और
बूँदें आती देख अलगनी से
उतार दिए कपड़े जब
तेज नमक पर भी खा ली सब्जी या
पी ली फीकी चाय बिना शिकायत जब
पेंटिंग बनाते देख बच्चों को चुपचाप
रेस्तराँ ले गए स्कूटर पर और
मेरा भी करा लाए खाना पैक जब
व्याकुल हो करवाचौथ पर बार-बार
आसमाँ में चाँद ढूँढ रहे थे जब
मेरी बहन ,भाई की तकलीफों में
साथ खड़े हुए जब
आखिरी वक्त पापा ,अम्मा को थामा जब
मॉर्निंग- वॉक से लौटते हरसिंगार,चंपा के
ओस भीगे सुगन्धित फूल चुन कर
सिरहाने टेबिल पर सजा दिए जब
...................
तब...तब...तब
हाँ हर उस दिन मेरा वैलेंटाइन डे था तब !!!!🌹
—-उषा किरण.
14. 2 .2020
सच ! ये छोटी छोटी बातें ही हर दिन को वैलेंटाइन डे बनाती हैं।
जवाब देंहटाएंधन्यवाद मीना जी
हटाएंआपकी लिखी रचना सोमवार. 14 फरवरी 2022 को
जवाब देंहटाएंपांच लिंकों का आनंद पर... साझा की गई है
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
सादर
धन्यवाद।
संगीता स्वरूप
दैनिक जीवन के ताने-बाने से गूँथा प्रेम का अनूठा एहसास।
जवाब देंहटाएंयथार्थ सृजन उषा जी।
बेहद सुंदर रचना।
सस्नेह।
बहुत शुक्रिया
हटाएंप्रेम में परवाह और परवाह में प्रेम जब जब नजर आये तब तब वेलेंटाइन होगा
जवाब देंहटाएंबहुत ही लाजवाब सृजन
वाह!!
बहुत आभार
हटाएंबहुत सुंदर उषा जी | सच में प्रेम समर्पण-सुरक्षा का दूसरा नाम है | छोटी - छोटी बातों से हम किसी का प्यार अनुभव कर सकते हैं तो बहुत छोटी सी बात से उपेक्षा भी छुपी नहीं रहती |एक दूसरे की छोटी-छोटी खुशियों का ख़याल रखना ही विशुद्ध पेम है|प्रेम दिवस की हार्दिक बधाई |
जवाब देंहटाएंबहुत आभार आपका
हटाएं"परवाह" का दुसरा नाम ही तो प्यार है। यही तो नहीं समझते लोग। यदि आप किसी की परवाह नहीं करते तो आप उससे प्यार भी नहीं करते।
जवाब देंहटाएंअन्तर्मन की भावनाओं को बहुत ही सरल शब्दों में बयां किया है आपने, सादर नमस्कार आपको 🙏
मेरा भी यही मानना है…बहुत शुक्रिया
हटाएंबेहतरीन रचना।
जवाब देंहटाएंबहुत आभार
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