ताना बाना

मन की उधेड़बुन से उभरे विचारों को जब शब्द मिले

तो कुछ सिलवटें खुल गईं और कविता में ढल गईं

और जब शब्दों से भी मन भटका

तो रेखाएं उभरीं और

रेखांकन में ढल गईं...

इन्हीं दोनों की जुगलबन्दी से बना है ये

ताना- बाना

यहां मैं और मेरा समय

साथ-साथ बहते हैं

मंगलवार, 10 मार्च 2020

स्वास्थ्य सबसे बड़ी नियामत—- स्वस्थ रहें जागरूक रहें

समझदारी।
                               
यूँ ही लंदन में एयर पोर्ट पर चलते-चलते न्यूज़ पेपर उठा लिया और एक न्यूज़ पढ़ कर आश्चर्य- चकित हो गई ।कभी कैंसर जैसी लाइलाज बीमारियों के लिए हम भारतीय सीधे पेशेन्ट को इंगलैंड या अमेरिका ले जाने की बात करने लगते थे जैसे कि वहाँ सारे डॉक्टर्स धन्वन्तरि ही हैं और हमारे सब बेवक़ूफ़ ।पर इंसान से गल्ती या लापरवाही कहाँ नहीं हो सकती ? अब तो विदेशों में भी ख़ूब ऐसे केस सुनने में आते हैं और हमारे भी डॉक्टर चिकित्सा के क्षेत्र में किसी से पीछे नहीं हैं ।28 वर्षीय Ms Sarah Boyle जब बेटे को फ़ीड करवा रही थीं तो उन्होंने नोटिस किया कि वो राइट ब्रैस्ट से नहीं पीता था डॉक्टर को शक हुआ कि शायद ट्यूमर की वजह से टेस्ट चेंज हो गया है उसने टैस्ट करवाया तो पता चला कि उसे असाध्य triple negative breast cancer है ।
Royal Stoke University Hospital in Stoke-on-Trent, England में डबल मस्टकटमी और रिकन्स्ट्रक्टिव सर्जरी और सारी कीमोथेरेपी के बाद सात महीने के इलाज के उपरान्त डॉक्टर कहते हैं कि उसे कैंसर नहीं है Sarah ख़ुशी से रो पड़ीं तब डॉक्टर्स ने बताया कि सच तो ये है कि उनको कभी कैंसर था ही नहीं ।वे हैरान रह गईं ।
कीमो की वजह से समाप्त हो गए बाल व आई ब्रो हालाँकि दुबारा आ गए हैं पर शीशे में देखती हैं तो ख़ुद को बदला हुआ सा महसूस करती हैं और आज भी सर्जरी व कीमो के साइड इफ़ेक्ट झेल रही हैं हालाँकि हॉस्पीटल ने अपनी गल्ती मानी है कि बायप्सी की ग़लत रिपोर्ट देने की वजह से ऐसा हुआ और अब वे एक्स्ट्रा प्रिकॉशन्स लेते हैं ये इंसानी गल्ती है और वे डॉक्टर हरसंभव Sarah की मदद के लिए तैयार रहते हैं ।परन्तु जो क्षति Sarah की हो चुकी है उसका क्या ?उसकी पूर्ति कभी नहीं हो सकती । डॉक्टर्स को ये शक था कि शायद अब वो दुबारा माँ नहीं बन पाएगी कीमों की वजह से उनकी प्रजनन क्षमता पर असर पड़ेगा लेकिन अब वो एक और सात माह के बेटे की माँ हैं।
           इस न्यूज़ को प्रकाश में लाने का मेरा एक ही मक़सद है कि इंसानी गल्ती या लापरवाही कहीं पर किसी से भी हो सकती है ऐसे कई केस इंडिया में भी हुए हैं जब किसी को कैंसर नहीं था और उसका ऑपरेशन और कीमोथेरेपी दे दी गई ।कितनी दुर्भाग्यपूर्ण बात है उस व्यक्ति के लिए जिसने बिना बातशारीरिक,मानसिक,आर्थिक पीड़ा झेली जिसे वो बीमारी है ही नहीं उसे वो इलाज की सारी मुसीबतें झेलनी पड़ीं किसी एक की गल्ती की वजह से । कीमोथेरेपी कोई साधारण इलाज नहीं है कीमोथेरेपी के साइड इफ़ेक्ट सालों साल के लिए शरीर पर दुष्प्रभाव छोड़ जाते हैं ।
मेरी एक फ्रैंड के हस्बैंड को डॉक्टर ने कैंसर बताया तो वो उनको बॉम्बे ऑपरेशन के लिए ले गईं पर ऑपरेशन से ठीक पहले दूसरी रिपोर्ट आ गई जो निगेटिव थी और वो इस त्रासदी को झेलने से बच गए ।
अत: कैंसर यदि डायग्नोस होता भी है तो मेरा सुझाव है कि अन्य किसी अच्छी पैथोलॉजी लैब से दुबारा अवश्य स्लाइड टैस्ट करवा लें तब इलाज शुरू करें ।जागरूक रहना अच्छा है और दूसरों की गल्तियों व अनुभवों से सीख लेना



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