ताना बाना

मन की उधेड़बुन से उभरे विचारों को जब शब्द मिले

तो कुछ सिलवटें खुल गईं और कविता में ढल गईं

और जब शब्दों से भी मन भटका

तो रेखाएं उभरीं और

रेखांकन में ढल गईं...

इन्हीं दोनों की जुगलबन्दी से बना है ये

ताना- बाना

यहां मैं और मेरा समय

साथ-साथ बहते हैं

रविवार, 25 अप्रैल 2021

पाती राम जी को-


 जै राम जी  

पूजा कह रही हैं राम जी को चिट्ठी लिखो

हमने कहा नहीं मन हमारा

पूछ रही है क्यों भाई?

अब क्या बताएं क्यों?

सभी ने तो पुकार लिया

मनुहारें कीं, प्रार्थना कीं, 

क्षमा माँग ली

बताओ अब हम क्या कहें ?

कैसे बताएं कि हम जन्म के घुन्ने हैं तो हैं.

अब ऐसा ही बनाया आपने.

मन में लगी है भुनुर- भुनुर, तो क्या लिखें?

गुस्से और आँसुओं से कन्ठ अवरुद्ध है.

मतलब हद्द ही कर रखी है.

न उम्र देख रहे न कुछ, बस उठाए ही जा रहे हो

जैसे ढेला मार कर टपके आम हैं हम सब

`जेहि विधि राखे राम तेहि विधि रहिए’

बचपन से गा रहे- अब ऐसे रखोगे ?

हा- हाकार है चहुँ ओर...

शोर है- `त्राहि माम ...त्राहि माम’

अरे यदि आबादी ज्यादा लग रही

धरती पर बोझ हल्का ही करना है तो 

और तरीके हैं...कायदे से करो काम.

पहले वाला कोरोना बड़े- बूढ़ों को उठा रहा था

हमने कहा चलो ठीक है 

पर अब ये नया वाला मुँहझौंसा...

बच्चों,युवाओं को भी नहीं बख्श रहा राक्षस

अब हम क्या बताएं?

और इतने बलशाली असुर मारे तुमने

ये तनिक सा नहीं संभलता तुमसे कोरोना हुँह.

अब बहुत डाँट लिया हमने तुम्हें

ऐसा तो हमने कभी नहीं किया पर मजबूर हैं

ध्यान से सुनो हमारी सलाह-

ये सपना हम रोज देखते सोने से पहले 

बस वो ही पूरा कर दो-

सुना है एक वैक्सीन पर काम हो रहा

जो नाक में स्प्रे करते ही कोरोना उड़न छू

तो बस अब जल्दी ही उसी में टपका दो वो ही

जो हनुमान बाबा लाए थे न - संजीवनी 

बस एक दिन सोकर उठें और अख़बार में बड़ा- बड़ा छपा दिखे-

आ गई, आगई नेजल स्प्रे वाली दवाई

मिनटों में कोरोना उड़न -छू

लौट आए धरती की मुस्कान फिर

लौट आएं रुकती साँसें सबकी

थक गए न्यूज में भी कराह, लाशें, पीड़ा देख

कलेजा हर समय थरथराता है ..

डर लगता है अपनों के लिए

अब ये बात समझो और मानो

बाकी हम क्या समझाएं आपहि

तो इत्ते बड़े समझदार हो ...!

थोड़े लिखे को ज्यादा समझना

और जरा खबर लो अब सबकी.

सो कहाँ रहे हो ?

जाते हम अब.

सीता मैया, लखन भैया और 

हनुमन्त लला को प्रणाम कह देना

आपकी- अब जो है सो है ही

                          —उषा किरण 🙏


---------------------------------

10 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी बात सभी भारतवासियों के मन की पुकार है माननीया उषा किरण जी।

    जवाब देंहटाएं
  2. जितेंद्र जी बस प्रभु सुन लें सबकी पुकार...प्रार्थना करिए🙏

    जवाब देंहटाएं
  3. मने गुस्सा यहाँ भी नाक पर रखा 😄😄😄😄
    राम जी तो डर गए । सुन ही लेंगे ।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. डाँट लिया
      मनुहारें कर लीं
      सलाह भी दे दी...
      सुनते नहीं तो क्या गुस्सा नहीं आएगा🙄 सुन लें बस अब!

      हटाएं
  4. मेरी रचना शामिल करने का बहुत शुक्रिया 🙏

    जवाब देंहटाएं

मुँहबोले रिश्ते

            मुझे मुँहबोले रिश्तों से बहुत डर लगता है।  जब भी कोई मुझे बेटी या बहन बोलता है तो उस मुंहबोले भाई या माँ, पिता से कतरा कर पीछे स...