ताना बाना

मन की उधेड़बुन से उभरे विचारों को जब शब्द मिले

तो कुछ सिलवटें खुल गईं और कविता में ढल गईं

और जब शब्दों से भी मन भटका

तो रेखाएं उभरीं और

रेखांकन में ढल गईं...

इन्हीं दोनों की जुगलबन्दी से बना है ये

ताना- बाना

यहां मैं और मेरा समय

साथ-साथ बहते हैं

शनिवार, 2 जुलाई 2022

आधी रोटी



शादी की कई रस्मों में से एक मनभावन रस्म है पग फेरों की।नवब्याहता बेटी शादी के बाद जब पहली बार सजी- धजी दामाद संग मायके आती है तो कुछ अलग ही उल्लास व उछाह मन में व घर भर में छा जाता है।

लॉन में दिसम्बर की  सुनहरी सी धूप में बेटी मनिका और दामाद शेखर बीनबैग में अधलेटे से आराम से चाय पीते बातों में मशगूल थे।चेहरों पर खुशी के साथ थकान भी थी। दबके और पोत की कढाई वाली गुलाबी साड़ी में मनिका का गोरा गुलाबी रंग- रूप खूब दमक रहा था।सिंदूर, बिंदी, मेंहदी , चूड़े से सजी और खुले कमर से नीचे तक लहराते लम्बे बालों में वह कितनी सुन्दर लग रही थी। शेखर की सौम्य व सुन्दर छवि पर तो सुधा पहले ही दिन से  मुग्ध हो गई थी। राम- सीता सी बेटी- दामाद की जोड़ी को निहारती, निहाल सुधा के मन में निरन्तर प्रार्थना चल रही थी…प्रभु बुरी नजर से बचाना मेरे बच्चों को…हे प्रभु, कहीं मेरी ही नजर न लग जाए। मौका देख कर नजर उतार दूँगी , फिर मनिका चाहें कितना ही चिड़चिड़ करे।सोच कर उनसे नजर हटा ली।

मनिका का कल सुबह ही फोन आ गया था।

"मम्मा, हम लोग बाली जाने से पहले एक दिन के लिए आपके पास आ रहे हैं ! बस हल्का ही खाना बनवाना अरहर की दाल,चावल, चटनी, कढ़ी,सूखे आलू की भुजिया वाला….कई दिन से भारी खाना चल रहा है…मन ऊब गया है !”

शादी हंसी- खुशी निबट गई थी। नरेन्द्र के चेहरे पर भी पिता वाली खुशी और सन्तुष्टि खिल रही थी। बच्चों के साथ मिल कर शादी में आए मेहमानों, उनकी बातों, खाने-पीने व सजावट वगैरह पर खूब चर्चा व हंसी- मजाक चल रहा था। क्योंकि दिल्ली से ही शादी हुई थी तो दोनों बच्चों ने ही सारा इंतजाम किया था। शेखर ने हंस कर सुधा को छेड़ा ।

" देखा मम्मी हम दोनों ने कितना अच्छा इंतजाम किया था और मैंने नाक नहीं पकड़ने दी आपको…वैसे कोशिश तो बहुत की आपने !”

" हाँ, आप ही जीते, मैं हारी !” सुधा हंस दी।

"पापा हमने सोचा आप लोगों से मिलते हुए जाएं। परसों हम लोग बाली के लिए निकल रहे हैं। लौट कर फिर आप लोगों से मिलने आएंगे एक दो दिन के लिए… अभी तो हम लोगों की छुट्टियाँ ही चल रही हैं !” शेखर ने कहा।

" बेटा, बहुत अच्छा किया, तुम लोगों ने….!” नरेन्द्र ने खुश होकर कहा।

" अब खाना लगवा दूँ…भूख लगी होगी ? उठते हुए सुधा ने कहा।

"वाह, मम्मी खाना देखते ही सच बहुत जोर से भूख लगने लगी है !” अपनी  प्लेट में सब्जी  परोसते  मनिका खुशी से चहकी। 

" वाह…सच मम्मी खाना बहुत अच्छा बना है !”शेखर ने भी खाते- खाते कहा।

रामू  एक-एक गर्म करारी रोटी सेंक कर, घी लगा कर ला रहा था। मनिका और  शेखर की प्लेटों में अभी रोटी बाकी थी परन्तु सुधा और नरेन्द्र की प्लेटों में रोटी खत्म हो गई थी ।जैसे ही रामू एक रोटी सेंक कर लाया तो नरेन्द्र ने हाथ बढ़ा कर रोटी लेकर दो टुकड़े करके आधी सुधा की प्लेट में और आधी अपनी प्लेट में रख ली। खाना खाते-खाते शेखर ने ये नोटिस किया और चुपचाप खाते रहे।

अगली सुबह वे दोनों नाश्ते के बाद दिल्ली के लिए निकल लिए। बाली से रोज उनका एक बार फोन आता रहता था।दोनों निरन्तर फोटो भेजते रहते। मनिका चहक कर कहती।

"पापा, मम्मा आप लोगों को भी यहाँ का एक ट्रिप जरूर लगाना चाहिए, बाली बहुत ही सुन्दर है ,सच में !”

आज पन्द्रह दिन बाद बाली से लौटे हैं दोनों। मनिका ने सबके लाए गिफ्ट खोल कर दिखाए। नरेन्द्र और शेखर बातों में खूब व्यस्त हैं ।बातों के बीच खाना-पीना भी चल रहा है। मनिका व शेखर दोनों की प्लेट में एक साथ रोटी खत्म होते ही रामू जल्दी से एक गर्म  रोटी लेकर आया और शेखर की तरफ़ बढ़ाईं। शेखर ने हाथ बढ़ा कर रोटी के दो टुकड़े करके आघी- आधी अपनी और मनिका की प्लेट में रखीं और नरेन्द्र की तरफ देख कर मीठी सी अर्थभरी मुस्कान मुस्कुरा दिए।

 सुधा और नरेन्द्र ने  भी  एक दूसरे की तरफ देखा…सहसा  उनके चेहरों पर भी एक सन्तुष्टि भरी मुस्कान तैर गई ।

                                      — उषा किरण

23 टिप्‍पणियां:

  1. जी नमस्ते ,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा आज सोमवार(०४-०७-२०२२ ) को
    'समय कागज़ पर लिखा शब्द नहीं है'( चर्चा अंक -४४८०)
    पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित है।
    सादर

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  2. संस्कारी व्यक्ति देख कर ही अच्छाइयों को अपना लेते हैं।
    सहज सुंदर और मन को स्पर्श करती कथा।

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  3. रिश्तों के सौंदर्य को दर्शाती, सार्थक सन्देश देती सुंदर कहानी ।

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  4. बढ़िया वृतांत

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  5. बड़ों का स्नेहिल व्यवहार आत्मसात करती प्रेम की मिठास में पगी आधी रोटी।
    बहुत सुंदर संस्मरणात्मक कथा।
    सस्नेह

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  6. क्या बात है प्रिय उषा जी।😃😃👌👌दामाद जी ने चुपके से जता दिया अपना अधिकार।स्नेहिल रिश्तों के ताने-बाने में गुन्थी सुन्दर प्रस्तुति।

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    1. जी रेणु जी साथ ही अपना फ़र्ज़ और प्यार भी…बहुत शुक्रिया!

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  7. तभी कहते हैं बच्चे बड़ों से सीखते हैं..
    बहुत ही सुन्दर कहानी ।

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    उत्तर
    1. जी सुधा जी, बड़ों का व्यवहार ही संस्कार बन कर बच्चों नें उतरता है…हार्दिक आभार 😊

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