2000 में आई फ़ैक्स,दिल्ली में अटल जी की कविताओं पर “कृति आर्टिस्ट एसोसिएशन “के तत्वाधान में चित्र कला प्रदर्शनी की थी तब बनाई थी उनकी कविता पर यह पेंटिंग -
एक बरस बीत गया
झुलासाता जेठ मास
शरद चांदनी उदास
सिसकी भरते सावन का
अंतर्घट रीत गया
एक बरस बीत गया
सीकचों मे सिमटा जग
किंतु विकल प्राण विहग
धरती से अम्बर तक
गूंज मुक्ति गीत गया
एक बरस बीत गया
पथ निहारते नयन
गिनते दिन पल छिन
लौट कभी आएगा
मन का जो मीत गया
एक बरस बीत गया
#स्व०अटलबिहारीबाजपेयी
आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन 101वीं जयंती - त्रिलोचन शास्त्री और ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है। कृपया एक बार आकर हमारा मान ज़रूर बढ़ाएं,,, सादर .... आभार।।
जवाब देंहटाएंमेरी पोस्ट शामिल करने का आभार 🙏
जवाब देंहटाएंबेहद सुंदर चित्रांकन ! अटल जी की कविता तो लाजवाब है ही..
जवाब देंहटाएंबहुत धन्यवाद अनीता जी��
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