ताना बाना

मन की उधेड़बुन से उभरे विचारों को जब शब्द मिले

तो कुछ सिलवटें खुल गईं और कविता में ढल गईं

और जब शब्दों से भी मन भटका

तो रेखाएं उभरीं और

रेखांकन में ढल गईं...

इन्हीं दोनों की जुगलबन्दी से बना है ये

ताना- बाना

यहां मैं और मेरा समय

साथ-साथ बहते हैं

बुधवार, 9 मार्च 2022

यूँ भी



किसी के पूछे जाने की

किसी के चाहे जाने की 

किसी के कद्र किए जाने की

चाह में औरतें प्राय: 

मरी जा रही हैं

किचिन में, आँगन में, दालानों में

बिसूरते हुए

कलप कर कहती हैं-

मर ही जाऊँ तो अच्छा है 

देखना एक दिन मर जाऊँगी 

तब कद्र करोगे

देखना मर जाऊँगी एक दिन

तब पता चलेगा

देखना एक दिन...

दिल करता है बिसूरती हुई

उन औरतों को उठा कर गले से लगा 

खूब प्यार करूँ और कहूँ 

कि क्या फर्क पड़ने वाला है तब ?

तुम ही न होगी तो किसने, क्या कहा

किसने छाती कूटी या स्यापे किए

क्या फ़र्क़ पड़ने वाला है तुम्हें ?

कोई पूछे न पूछे तुम पूछो न खुद को 

उठो न एक बार मरने से पहले

कम से कम उठ कर जी भर कर 

जी तो लो पहले 

सीने पर कान रख अपने 

धड़कनों की सुरीली सरगम तो सुनो

शीशें में देखो अपनी आँखों के रंग

बुनो न अपने लिए एक सतरंगी वितान

और पहन कर झूमो

स्वर्ग बनाने की कूवत रखने वाले 

अपने हाथों को चूम लो

रचो न अपना फलक, अपना धनक आप

सहला दो अपने पैरों की थकान को 

एक बार झूम कर बारिशों में 

जम कर थिरक तो लो

वर्ना मरने का क्या है

यूँ भी-

`रहने को सदा दहर में आता नहीं कोई !’

                                             —उषा किरण🍂🌿

#अन्तर्राष्ट्रीयमहिलादिवस


पेंटिंग; सुप्रसिद्ध आर्टिस्ट प्रणाम सिंह की वॉल से साभार

12 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 10.03.22 को चर्चा मंच पर चर्चा - 4365 दिया जाएगा| चर्चा मंच पर आपकी उपस्थिति सभी चर्चाकारों की हौसला अफजाई करेगी
    धन्यवाद
    दिलबाग

    जवाब देंहटाएं
  2. मार्मिक सृजन।
    नारी मन में आजीवन चलने वाले अंतर द्वन्द का सराहनीय चित्रण। सच मरी जाती हैं वे।

    किसी के पूछे जाने की

    किसी के चाहे जाने की

    किसी के कद्र किए जाने की

    चाह में औरतें प्राय:

    मरी जा रही हैं... वाह।

    ऐसी ही एक लघुकथा मैंने भी लिखी है वज्राहत मन आप पढ़ेंगी मुझे ख़ुशी होगी।
    सादर

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. जी आपकी कहानी ज़रूर पढ़ना चाहूँगी…मेरी कविता की सराहना कर उत्साह बढ़ाने का बहुत शुक्रिया 🙏

      हटाएं
  3. बेहद खूबसूरती से टांके गए शब्‍द...वाह उषा जी...सीने पर कान रख अपने

    धड़कनों की सुरीली सरगम तो सुनो

    शीशें में देखो अपनी आँखों के रंग

    बुनो न अपने लिए एक सतरंगी वितान

    और पहन कर झूमो

    स्वर्ग बनाने की कूवत रखने वाले

    अपने हाथों को चूम लो...वाह

    जवाब देंहटाएं

मुँहबोले रिश्ते

            मुझे मुँहबोले रिश्तों से बहुत डर लगता है।  जब भी कोई मुझे बेटी या बहन बोलता है तो उस मुंहबोले भाई या माँ, पिता से कतरा कर पीछे स...