जो बीत गई सो बात गई-
धर्मेंद्र अनन्त- यात्रा पर जा चुके हैं।
हेमा से शादी सही या गलत …इसकी अदालत सोशल मीडिया पर आजतक जारी है।
हेमा व धर्मेंद्र कभी मेरे फ़ेवरेट स्टार नहीं रहे। बहुत लाउड एक्टिंग मुझे पसन्द ही नहीँ । लेकिन उनकी सत्यकाम, अनुपमा, मीरा, दुल्हन, किनारा, खुशबू जैसी कुछ फिल्में पसंद हैं ।स्क्रीन पर उनकी जोड़ी बहुत जमती थी।
शादीशुदा आदमी से शादी करने के पक्ष में मैं कभी नहीँ रही। लेकिन प्यार में कौन क्या चुनता है यह बहुत निजि फैसला है। कोई एकाकी जीवन चुनता है, तो कोई सारी कीमत चुका कर दूसरी पत्नि बनना। प्रेम के विभिन्न रूप हैं तो फैसले भी अलग- अलग तो होंगे ही।
सुरैया ने नानी से हार मानकर अंगूठी समुद्र में फेंक दी और सारी उम्र देवानंद की यादों के सहारे एकाकी जीवन बिताया, देवानन्द कल्पना कार्तिक का हाथ थाम आगे बढ़गए। नन्दा, आशा पारिख, ने अविवाहित रहना चुना।नरगिस ने भी थक कर सुनील दत्त का हाथ खाम लिया। नीना गुप्ता ने अविवाहित माँ बनना चुना तो गुरुदत्त ने प्रेम से मिले तनाव व कलह के चलते जीवन समाप्त कर लिया और हेमा मालिनी सहित लम्बी लिस्ट है जिन्होंने दूसरी पत्नि बनना चुना…।
शादीशुदा आदमी से शादी कर दूसरी पत्नि बनकर ताउम्र सामाजिक लाँछना सहना आसान नहीँ है, एक दिन अपनी संतान भी प्रश्न पूछ सकती है।
हेमामालिनी के भी पेरेन्ट्स धर्मेंद्र से शादी नहीँ चाहते थे, उन्होंने बहुत विरोध किया। हेमा संजीव कुमार से शादी के लिए तैयार थीं पर संजीव की बेहूदी माँग कि वे शादी के बाद काम नहीँ करेंगी के कारण हेमा ने मना कर दिया, अच्छा ही किया वर्ना बेहतरीन डाँसर व अभिनेत्री रसोई में बाकी उम्र चमचा चलाती बिताती। जितेन्द्र के साथ विवाह के लिए भी बाद में मान गई थीं पर जितेंद्र को दिलोजान से चाहने वाली शोभा और धर्मेंद्र की जिद के चलते जितेंद्र की दुल्हन होते- होते रह गईं।
नियति शायद तय करती है कि कौन किसका साथी होगा। पच्चीस फिल्मों में साथ काम करते, दसियों बार कैमरे के सामने प्रेम करते- करते हेमा धर्मेंद्र एक- दूसरे से प्यार करने लगे तो सहज ही हो सकता है।उन्होंने सारे विरोध , तिरस्कार व लाँछना सहकर विवाह किया। प्रकाश कौर ने भी चाहें जैसे पर बहुत गरिमा के साथ स्वीकार कर लिया।मैं हेमामालिनी की इस बात की बहुत प्रशंसक हूँ कि वे पारिवारिक रस्साकशी में न पड़कर निरन्तर कला की साधना, आदि में सक्रिय रहकर अपने व्यक्तित्व को निखारती रहीं और आर्थिक रूप से भी सुदृढ़ रहीं।
हेमा मालिनी जब मीरा की नृत्य नाटिका में या मीरा फिल्म में मीरा के प्रेम की पीड़ा में गाती हैं …"ए री मैं तो प्रेम दीवानी…” तो कहीं मीरा की पीड़ा को आत्मसात् कर लेती हैं । प्यार का साथ चुनकर भी उन्होंने पीड़ा कम नहीं सही, पर कोई शिकायत नहीं , धर्मेंद्र पर हक का कोई दबाव न देकर हर हाल में सन्तुष्ट रहीं और बेटियों की परवरिश , नृत्य साधना, एक्टिंग , राजनीति में खुदको व्यस्त रखा। इसी कारण उनकी खूबसूरती दिनोंदिन निखरती ही गई। क्रिएटिविटी के कारण सुन्दरता में गरिमा का शहद मिलता रहा। खुद धर्मेंद्र ने कई बार इंटरव्यू में कहा कि हेमा को इस रिश्ते के कारण कई बार बहुत दुःख सहना पड़ा है।
वो कहानी अब पूरी हो चुकी। हेमा मालिनी का व्यक्तित्व बहुत गरिमापूर्ण है , अच्छा है हम अब सही गलत की अदालतें लगााना बन्द करें। बहुत बुरा लगता है जब ए आई से रोती- बिलखती, हाथ जोड़ती , दीन हीन हेमा मालिनी की और बीमार धर्मेंद्र की रील्स दिखाई देती हैं ।देओल परिवार ने अन्त्येष्टि चुपचाप करके अच्छा किया वर्ना जाने क्या-क्या देखने को मिलता।मीडिया तो दो सौतों की मानसिक व काल्पनिक कुश्ती दिखाने से बाज नहीँ आती।
अच्छा हो कि हम अब फालतू बकवास छोड़ , धर्मेंद्र की पुरानी फिल्में देखकर उनको सच्ची श्रद्धांजलि दें।
— उषा किरण
