ताना बाना

मन की उधेड़बुन से उभरे विचारों को जब शब्द मिले

तो कुछ सिलवटें खुल गईं और कविता में ढल गईं

और जब शब्दों से भी मन भटका

तो रेखाएं उभरीं और

रेखांकन में ढल गईं...

इन्हीं दोनों की जुगलबन्दी से बना है ये

ताना- बाना

यहां मैं और मेरा समय

साथ-साथ बहते हैं

शनिवार, 21 मई 2022

चाय- दिवस


 चाय दिवस भी होता है ये आज पता चला।

हमारे तो सारे ही दिवस चाय दिवस ही हैं।

अम्माँ बताती थीं जब वो छोटी थीं तो मामाजी कहीं से चाय की पत्ती लाए थे अंग्रेज मुफ़्त में बाँट रहे थे (कुछ लोगों का कहना था कि देश का सत्यानाश करने को अंग्रेज ये लत हिन्दुस्तानियों को लगाना चाहते थे ) ...खैर तो मामाजी ने पूरे ताम- झाम से थ्री पॉट चाय बनाई ...घड़ी देख कर चाय सिंझाई गई...और  बड़ी नफासत से सबको पिलाई जो तब दो कौड़ी की लगी । 

वो ही अम्माँ बाद में सुबह -सुबह लगभग केतली भर चाय मामा जी के साथ पी जातीं।

मामी जी को तो हर घंटे चहास लगती सारे दिन कटोरी में चाय बनातीं ...न जाने क्यों ? 

दरअसल चाय किस क्वालिटी की है उससे ज़्यादा असर इस बात का होता है कि वो किसके साथ पी जा रही है ...किसी आत्मीय के साथ गुनगुनी बातों संग गर्म चाय के मिठास भरे सिप अन्दर तक तृप्ति व ऊष्मा का अहसास कराते हैं ।

गाँव जाने पर चूल्हे पर औटती चाय मिलती काढ़ा टाइप। अदरक और गुड़ वाली , धूँए की खुशबू वाली ...बटलोही भर चाय बना कर चूल्हे से अंगारे  निकाल उस पर रख दी जाती और जो आता उसमें से धधकती चाय गिलास या कुल्हड़ में दी जाती। एक दिन मैंने भी अपने घर गुड़ की बना कर देखी ...जरा मजा नहीं आया कसैली सी लगी सारी फेंकनी पड़ी । शायद गाँव वाली उस चाय में वो टेस्ट कोई खास गुड़ का था या गाँव की मिट्टी की ख़ुशबू और अपनों के प्यार की मिठास  का ।

दुनिया जहान की एक से एक उम्दा ,तरह- तरह की चाय पीने पर भी कभी-कभी वो ही गाँव वाली चाय की हुड़क उठती है  तो कुल्हड़ मंगा कर उसमें चाय पीकर संतोष करना पड़ता है।गौरव अवस्थी की ये कविता जैसे मेरे ही मन की बात कहती है…अन्तर्राष्ट्रीय चाय दिवस की सबको हार्दिक बधाई ।

                   — उषा किरण 


 

6 टिप्‍पणियां:

  1. आपने सही कहा कि चाय कैसी बनी है के साथ साथ किसके साथ पी जा रही है ये भी महत्व रखता है। साथ अच्छा हो तो औसत चाय भी तृप्त कर देती है और बुरा हो तो अच्छी सी अच्छी चाय भी असर नहीन डाल पाती है।

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  2. बड़ी आत्मीयता से चाय पिलाने के लिए हार्दिक आभार।

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  3. कुल्हड़ वाली चाय तो पसंद है , लेकिन आज कल कुल्हड़ भी न जाने कैसे बनाते हैं कि मिट्टी की सौंधी खुशबू ही नहीं आती ।।
    वैसे मुझे पकी हुई या औटायी हुई चाय पसंद नहीं है ।
    इलायची , या चाय मसाला डाल कर बनाई चाय काढ़े का गुमान कराती है । अदरक वाली चाय केवल सर्दियों में पी जा सकती है । तो जब कभी हम साथ चाय पियेंगे तो ध्यान रखिएगा । 😆😆😆😆

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    1. आप आएं तो , हम आपको थ्री पॉट बहुत बढ़िया अपनी मनपसन्द लॉपच्यू टी पिलाएँगे आपकी तबियत खुश हो जाएगी ☺️

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