ताना बाना

मन की उधेड़बुन से उभरे विचारों को जब शब्द मिले

तो कुछ सिलवटें खुल गईं और कविता में ढल गईं

और जब शब्दों से भी मन भटका

तो रेखाएं उभरीं और

रेखांकन में ढल गईं...

इन्हीं दोनों की जुगलबन्दी से बना है ये

ताना- बाना

यहां मैं और मेरा समय

साथ-साथ बहते हैं

मंगलवार, 24 मई 2022

नेकी

 


सुबह साफ- सफाई के बाद मैं धूप-दीप जला ही रहा था कि मेरे मेडिकल स्टोर के सामने एक कार आकर रुकी और एक बहुत सम्भ्रान्त महिला व एक युवक उतर कर आगे आए।

महिला कुछ देर तक ध्यान से चंदनहार चढ़े फ्रेम में जड़े फोटो को देखती रहीं l

"ये आपके वालिद…..?”

"जी …दो साल पहले ही हम सबको छोड़कर भगवान के घर…!”

"ओह….आप उनके बेटे हैं?” मैंने देखा उनकी आँखें नम हो गईंl

"जी…आप ?”

"बेटा क्या कहूँ, समझ लो कि आज हम माँ - बेटे  तुम्हारे सामने यदि ज़िंदा खड़े हैं तो इनकी ही बदौलत।”

"मतलब…?”        

 कुछ ठहर कर उन्होंने कहा-                

"पच्चीस साल पहले एक दिन मैंने  यहाँ आकर तुम्हारे पापा से बच्चा गिराने की दवा माँगी थी। उन्होंने कहा कि वो ऐसी कोई दवा नहीं दे सकते, तो मैंने रोते हुए कहा फिर तो रेल की पटरियों पर ही अब मेरी मुश्किलों का अन्त होगा। मैं जाने लगी तो वे मेरे पीछे-पीछे आए और हौसला दिया। जब मैंने उन्हें बताया कि मेरे शौहर ने दूसरी शादी कर ली है और मुझे तलाक देकर घर से निकाल दिया है। मैं पेट से हूँ…अब्बू सुनेंगे तो सदमें से मर ही जाएंगे…मैं कैसे जियूँगी, कैसे अपने बच्चे की परवरिश करूँगी ? तो उन्होंने मुझे समझाया कि एक रास्ता बन्द होने से दुनिया ख़त्म नहीं हो जाती। तुम्हारे हिस्से में अँधेरा लिखने से पहले भगवान ने एक रोशनी की किरण तुममें रोप दी है और तुम उसी को खत्म कर देना चाहती हो। उनके समझाने से मुझमें उम्मीद जगी और मैं अपने अब्बू के पास लौट गई। सिलाई कढ़ाई का शौक था तो टेलरिंग का कोर्स किया और अपना छोटा सा बुटीक खोल लिया, आज वो शहर का सबसे बड़ा बुटीक है।ये मेरा बेटा डॉक्टर बन गया है।आज पहली कमाई से तुम्हारे पापा के लिए बहुत इज़्ज़त ओर प्यार से गिफ्ट लाया था, पर…!”

उन्होंने आँखें बन्द कर दुआ पढ़ी और डिब्बे से निकाल कर घड़ी मुझे पहनाते हुए कहा- 

"मना मत करना बेटा , इस माँ की दुआ समझ कर रख लो। ये घड़ी तुमको हमेशा नेकी पर विश्वास दिलाती रहेगी ।इंसान तो एक दिन वक्त के परे चला जाता है, लेकिन उसके किए नेक काम ताकयामत जिंदा रहते हैं…सदा सुखी रहो…अल्लाह  निगेहबान रहें…!”

वे दुआएं देती चली गईं और मैं दूर तक उनकी गाड़ी को जाते देखता रहा।

                                      — उषा किरण

फोटो; गूगल से साभार

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