ताना बाना

मन की उधेड़बुन से उभरे विचारों को जब शब्द मिले

तो कुछ सिलवटें खुल गईं और कविता में ढल गईं

और जब शब्दों से भी मन भटका

तो रेखाएं उभरीं और

रेखांकन में ढल गईं...

इन्हीं दोनों की जुगलबन्दी से बना है ये

ताना- बाना

यहां मैं और मेरा समय

साथ-साथ बहते हैं

सोमवार, 30 मई 2022

मेड फॉर ईच अदर

 

India Art Fair 2022, Delhi में देखी गई  कलाकार `सोमा दास ‘ की क्रम से लगी ये पाँच पेंटिंग्स  `Made For Each Other ’ मेरे दिल में बस गई है ….ध्यान से देखिए तो इस पेंटिंग में छिपी एक कविता भी नजर आती है मुझे —

………..


तुम चाहते हो न धरा सी

घूमती रहूँ तुम्हारे इर्द-गिर्द

पलकों की चिलमन में

काजल सा आँज लूँ

और खुशबू सा बसा लूँ

साँसों की लय में तुम्हें…!

जो तुम संवार दो न 

मेरा पल्लू

मेरी बिखरी अलकें

पैरों में लगा दो न आलता

पहना दो 

रुनुक- झुनुक पायल

बिठा दोगे तरतीब से 

साड़ी की चुन्नटें जब

नहीं चाहूँगी तब कुछ और 

मेरे मीत…!

तुम बन कर तो देखो सूरज

एक नहीं सात जन्मों तक 

धरा सी घूमती रहूँगी मैं 

ताउम्र…तुम्हारे चहुँओर…!!

                 —उषा किरण 🌼🌸


(जब अभिव्यक्ति के दो माध्यम मिल कर कुछ कहते हैं तो भाव- सम्प्रेषण दुगुना हो जाता है…!)

9 टिप्‍पणियां:

  1. वाह!भावपूर्ण अभिव्यक्ति

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  2. मेरी रचना का चयन करने के लिए हृदय से आभार 🙏

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  3. बहुत बहुत सुन्दर सराहनीय रचना। हार्दिक शुभकामनाएं

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  4. हृदय से आभार आलोक जी🙏😊

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  5. चित्र अनुरूप बहुत सुंदर रचना । जैसे चित्रों को शब्द दे दिए हों । 👌👌👌👌👌

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  6. शानदार चित्र पर शानदार चिन्तन! प्रेमिल अभिव्यक्ति के क्या कहने!!!

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